मुंबई।। इंडिया में बिजनेस शुरू करने वाले किसी मल्टिनैशनल बैंक की नजर सबसे पहले साउथ मुंबई, साउथ दिल्ली और साउथ चेन्नै के अमीर जाने वाले इलाकों पर होती है। यहां से अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिलने पर वह लुधियाना और कोयम्बटूर जैसे ट्रेडिंग सेंटर्स की ओर देखते हैं।
लेकिन, क्या कूड़ा बीनने वाले किसी इंटरनैशनल बैंक के क्लाइंट्स हो सकते हैं? इस सवाल का जवाब हां है। साउथ अफ्रीका का फर्स्टरैंड बैंक इंडिया के सबसे बड़े स्लम में रहने वाले लोगों को बैंकिंग सेवाएं दे रहा है। इससे पहले बैंक होम कंट्री साउथ अफ्रीका में लोगों को सेविंग सिखा चुका है। धारावी मुंबई के बिजनेस सेंटर बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स के करीब है। अगर आप कभी रोड से जाएं, तो आपको जंग लगी टिन की शीट्स के बीच पीले रंग का फर्स्टरैंड बैंक के एटीएम का साइनबोर्ड दिखेगा। यह एक स्लम में है।
धारावी गतिविधियों का केंद्र है। शहर के दूसरे इलाकों में खाने-पीने की चीजें पहुंचाने और हैंडबैग्स और वैलेट की मैन्युफैक्चरिंग के लिए यहां लोग 3 बजे सुबह जग जाते हैं। इन हैंडबैग्स और वैलेट का एक्सपोर्ट भी किया जाता है। यहां का सालाना बिजनेस 5,500 करोड़ रुपए से ज्यादा का होने का अनुमान है। फर्स्टरैंड बैंक के शुरुआती एक्सपीरियंस को देखते हुए यह एस्टिमेट कम हो सकता है। फर्स्टरैंड बैंक के कंट्री मैनेजर महेंद्रन मूडली ने कहा, ‘धारावी अच्छा स्टार्टिंग पॉइंट था। यहां इकनॉमिक ऐक्टिविटी और कैश का सर्कुलेशन है। हालांकि, हो सकता है कि ये कभी फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम के हिस्सा न रहा हो। बैंकिंग का मतलब ट्रांजैक्शन से है। इसलिए आपको ऐसे एरिया में होना चाहिए। दूसरा, एक फॉंरन बैंक होने के नाते हमारी पहुंच सीमित है।’
फर्स्टरैंड बैंक ने 13,000 अकाउंट्स खोले हैं। ब्रांच खोलने के बजाय इसने बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट रूट को अपनाया है। पिछले महीने धारावी में खुले एटीएम में मंथली ट्रांजैक्शन 2,000 तक पहुंच गया है। असल में चॉइस का संकेत कस्टमर बिहेवियर से मिलता है। यह तथ्य कि लोग स्लम में रहते हैं और ट्रेडिंग करते हैं, उन्हें बेटर क्वॉलिटी ऑफ लाइफ की उम्मीद करने से नहीं रोकता है।
बैंक की एक स्टडी से पता चलता है कि धारावी में इसके कस्टमर्स बिग बाजार और कैफे कॉफी डे जैसे कॉफी शॉप में डेबिट कार्ड्स स्वाइप कर रहे हैं। दूसरे फूड आउटलेट्स में भी रोजाना 7-8 ट्रांजैक्शन होते हैं। मूडली कहते हैं, ‘हमें उन्हें कम करके नहीं आंकना चाहिए। अगर आप कस्टमर को सर्विस देते हैं, तो फिर उन पर ब्रैंड का कोई असर नहीं पड़ता। सारा खेल ब्रैंड का नहीं बल्कि सर्विस का है