बसपा सरकार के नौ मंत्रियों के खिलाफ विजिलेंस का शिकंजा कस गया है। जांच एजेंसी ने तीन पूर्व मंत्रियों रंगनाथ मिश्र, अवध पाल सिंह यादव और बादशाह सिंह पर आरोपों को सही पाया है।
विजिलेंस ने तीनों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की सरकार से इजाजत मांगी है।
वहीं पूर्व मंत्री चंद्रदेव राम यादव, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राकेशधर त्रिपाठी, रामवीर उपाध्याय और बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने की अनुमति मांगी है।
जबकि पूर्व मंत्री रामअचल राजभर के खिलाफ विजिलेंस ने अपने स्तर से मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि विजिलेंस ने सभी नौ पूर्व मंत्रियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटा लिए हैं और सरकार से अनुमति मिलते ही जांच एजेंसी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू कर देगी।
पूर्व मंत्रियों पर आरोपों की लंबी फेहरिस्त
चंद्रदेव राम यादव
चंद्रदेव राम के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (डी) (ई) और 13 (डी) (2) के तहत मुकदमा दर्ज है। जांच में पाया कि मई 2007 से फरवरी 2012 के दौरान उनकी� कुल आय 14 लाख, 1 हजार 992 रुपए थी।
जबकि इस अवधि में उन्होंने 56 लाख, 88 हजार 852 रुपये खर्च किए। इस लिहाज से उन्होंने ज्ञात आय से 305 फीसदी अधिक खर्च किया।
विजिलेंस ने अभी चंद्रदेव राम की घोषित अघोषित चल-अचल संपत्ति को इसमें शामिल नहीं किया है। इन संपत्तियों को जांच में जोड़ा जाएगा।
बाबू सिंह कुशवाहा
कुशवाहा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (डी) (ई) और 13 (डी) (2) के तहत मुकदमा दर्ज था। उनके खिलाफ लगे आरोप जांच में सही पाए गए हैं।
2007 से 2012 की अवधि में पूर्व मंत्री ने आय से 35 फीसदी ज्यादा खर्च किया।
कुशवाहा पर इसके अलावा पद का दुरुपयोग करने और फर्जी दस्तावेज के सहारे राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप भी है।
खनन विभाग में हुई अनियमितताओं में पूर्व मंत्री के साथ विभाग के कई अधिकारी-कर्मचारी भी फंस रहे हैं।
-रामवीर उपाध्याय
उपाध्याय के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं में खुली जांच हो रही थी।
इसके अलावा उनके परिवार के कई लोगों को भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया है।
विजिलेंस ने अभी तक पूर्व मंत्री की 58 संपत्तियों के बारे में जानकारी हासिल की है।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी
सिद्दीकी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दर्ज शिकायत की जांच की जा रही थी। जांच अधिकारियों ने पाया कि सभी पूर्व मंत्रियों में नसीमुद्दीन सिद्दीकी की अघोषित आय सबसे ज्यादा रही।
नसीमुद्दीन के पास 1947 फीसदी अधिक आय पाई गई। इस दौरान उनकी आय 69 लाख जबकि खर्च 14 करोड़ रुपये से अधिक का रहा।
रंगनाथ मिश्र
मिश्र के खिलाफ भी पद का दुरुपयोग व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज आरोपों की जांच हो रही थी।
जांच में पाया गया कि इन पांच वर्षों की अवधि में उनकी आय एक करोड़ 51 लाख थी जबकि उन्होंने 7 करोड़ 61 लाख रुपये खर्च किए।
जांच में सामने आया कि मिश्र ने आय के ज्ञात स्रोतों की तुलना में 385 फीसदी अधिक खर्च किया।
अवध पाल सिंह यादव
इनके खिलाफ 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं में दर्ज मामले की जांच पूरी हो गई है।
जांच एजेंसी ने पूर्व मंत्री की कई घोषित-अघोषित संपत्ति की जानकारी हासिल की है।
पशु चिकित्सालयों के निर्माण में अनियमितता के साथ ही उन पर ग्राम समाज की जमीनों पर कब्जा करने का भी आरोप है।
राज्य सरकार से आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति दिए जाते ही अवध पाल यादव को गिरफ्तार करने की तैयारी है।
बादशाह सिंह
पूर्व मंत्री के खिलाफ 447, 448, 120 बी, और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दर्ज मामले की जांच में आरोपों को सही पाया गया है।
सरकारी जमीन पर कब्जे से लेकर पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप भी सही पाया गया है।
रामअचल राजभर
राजभर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच हो रही है। चूंकि, राजभर के खिलाफ विजिलेंस ने अपने स्तर से मुकदमा दर्ज किया है और अभी जांच चल रही है, लिहाजा यह अभी तक तय नहीं हो सका है कि पूर्व मंत्री ने कितने की वित्तीय अनियमितता की ही।
राकेश धर त्रिपाठी
त्रिपाठी के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच हो रही है। जांच में पाया गया है कि ज्ञात आय से 440 फीसदी अधिक व्यय किया गया।
इन पांच वर्षों में उनकी आय 49 लाख 49 हजार रुपए थी लेकिन उन्होंने दो करोड़ 67 लाख रुपये व्यय किए।