यमन निवासी बरा शिबन अपनी शादी में सदियों पुरानी ‘खत चबाने’ की परंपरा को नहीं मानने के चलते लोगों के निशाने पर आ गए हैं।
यमन में खत के पत्ते चबाना एक बेहद प्रचलित और पुरानी परंपरा है।
दरअसल खत के पत्ते उत्तेजना पैदा करते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के अनुसार खत एक किस्म की भावनात्मक निर्भरता पैदा करता है। हालांकि यह तंबाकू या शराब से कम होती है।
पिछले साल बरा और उनकी मंगेतर नजह की शादी हुई तो उसमें मेहमानों के लिए खत के पत्ते का इंतजाम नहीं किया और लोगों से अपील की वे उनकी शादी में इस पत्ते को चबाकर नहीं आएं।
इसकी वजह से बरा सुर्खियों में आ गए।
विकास का दुश्मन
हालांकि बरा के परिवार में कोई खत नहीं चबाता था लेकिन आस-पास के लोगों में खत चबाने की आम आदत है।
उनके दोस्त पढ़ने के नाम पर, मिल-बैठने के नाम पर खत चबाया करते और हर बार बरा को इससे बचने के लिए कोई बहाना बनाना पड़ता।
वह कहते हैं, “खत देश को नशे के दलदल में धकेल रहा है। खेती की ज़्यादातर ज़मीन और पानी इसी की भेंट चढ़ रहा है। इसकी वजह से पैसे, श्रम ओर समय की बर्बादी हो रही है।”
वह कहते हैं, “इसकी वजह से कोई व्यापार, कोई कोशिश सफल नहीं हो पाती। आप खत चबाते रहते हैं और सोचते रहते हैं कि आप कोई काम कर रहे हैं लेकिन कुछ नहीं कर रहे होते। सच्चाई यह है कि कई गरीब परिवारों में लोग अपने बच्चों के लिए खाना लाने के बजाय खत पर पैसा उड़ा देते हैं।”
कई यमनवासी मानते हैं कि खत संस्कृति का हिस्सा है और यह यमन की पहचान से भी जुड़ा है।
लेकिन बरा कहते हैं कि विकास के रास्ते में जो भी चीज़ बाधा बने उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई जानी चाहिए।
वह कहते हैं, “यमन कॉफ़ी के लिए प्रसिद्ध था लेकिन अब हम कॉफ़ी नहीं उगाते क्योंकि हम खत उगाते हैं, हम सब्ज़ियां-फल नहीं उगाते क्योंकि हम खत उगाते हैं।”
बदलाव का समय
पिछले साल जब बरा अपनी शादी की तैयारी कर रहे थे तो उन्होंने इसका इस्तेमाल खत के खिलाफ़ प्रचार के रूप में भी किया।
वह कहते हैं कि शुरू-शुरू में यह बहुत मुश्किल लग रहा था क्योंकि उनके कई रिश्तेदारों ने, जो खत चबाते थे, शादी का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया था।
उनकी मंगेतर के परिवार में कई लोग खत चबाते थे इसलिए उनके लिए यह एक किस्म का धक्का था।
कई लोगों ने कहा कि यह तो शादी में न बुलाने जैसा है। लेकिन बरा के दोस्तों और उनकी मंगेतर नजह ने उनका समर्थन किया।
नजह कहती हैं, “शुरू-शुरू में तो मुझे भी यह सुनकर धक्का लगा था क्योंकि मेरे परिवार में भी कई लोग खत चबाते थे। लेकिन बदलाव का समय आ गया था। खा़सतौर पर इस परंपरा को बदलने का, कि लोग खत चबाने के लिए ही शादी में शामिल होते थे।”
उम्मीद से ज़्यादा समर्थन
नजह कहती हैं कि उन्हें आशंका थी कि उनकी शादी में कुछ ही लोग शामिल होंगे जिनमें उनके नज़दीकी रिश्तेदार शायद न हों।
नजह बताती हैं, “1,200 आमंत्रित मेहमानों में से करीब 1,000 शादी में शामिल हुए और वह भी खत चबाने के लिए नहीं बल्कि हमारी ख़ुशी में शामिल होने के लिए। लोग डीजे की धुनों पर थिरके, मस्ती की, ख़ुशी मनाई और वह भी मुंह में हरी पत्ती डाले बिना।”
बरा कहते हैं, “देर रात तक लोग आते रहे। मेरे दोस्त तो नाच-गाकर ख़ुशी मना ही रहे थे बहुत से प्रिंट और टीवी के पत्रकार भी शादी में पहुंचे। मुझे इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।”
कई लोग बरा की पहल का समर्थन करने के लिए भी पहुंचे।
बरा एक टैक्सी ड्राइवर को याद करते हैं, “वह आकर मुझसे मिला और कहा कि मैं आपको नहीं जानता लेकिन मैंने इसके बारे में सुना और मैं आपके विचार और पहल का समर्थन करने के लिए आया हूं।”
यमन में अगले साल चुनाव होने हैं और कई राजनीतिक दल देश के संविधान पर भी विचार-विमर्श कर रहे हैं।
बरा एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह कहते हैं कि वह और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता एक ऐसे कानून के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं जो खत की खेती को हतोत्साहित करता है। अगर सरकार इसे स्वीकार कर लेती है तो यमन वर्ष 2020 तक खत से मुक्त हो सकता है।
यमन में बरा के कई समर्थक हैं लेकिन उनकी सबसे बड़ी समर्थक पत्नी नजह हैं, जो कहती हैं कि देश के विकास के लिए हमें खत से निजात पानी ही होगी।