छत्तीसगढ़ में राजनेताओं पर हुए अब तक के सबसे बड़े नक्सली हमले से दबाव में आई केंद्र सरकार ने जांच की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी है।
हालांकि सरकार ने नक्सल विरोधी अभियान में सेना को लगाने की संभावना से इनकार किया है। कांग्रेसी नेताओं की मौत को देखते हुए छत्तीसढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी जांच एनआईए से कराने को मंजूरी दे ही है। केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने न्यूयार्क से बताया कि उन्होंने रमन सिंह से बात की है। वह एनआईए से जांच कराने पर सहमत हो गए हैं।
शिंदे के मुताबिक उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह से इस मामले को और आगे बढ़ने को कहा है। शिंदे ने कहा कि उन्होंने जांच एनआईए को सौंपने के फैसले के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जानकारी दे दी है। हालांकि रमन सिंह ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं।
उनका कहना है कि दोनों जांचें साथ-साथ चलेंगी। गौरतलब है कि भारी हथियारों से लैस नक्सलियों ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर घात लगाकर हमला कर कांग्रेस नेता महेंद्र कर्माए प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेलए उनके बेटे दिनेश पटेल तथा पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत 27 लोगों को मार डाला था और वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री वीसी शुक्ला समेत 32 अन्यों को घायल कर दिया था।
नक्सल समस्या से निपटने की चाबी स्थानीय पुलिस और केद्रीय पुलिस बलों के मजबूत करने में निहित है। नक्सल विरोधी अभियान में सेना को शामिल करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। – एके एंटनी, रक्षामंत्री
रक्षामंत्री एके एंटनी ने सोमवार को बताया कि स्थानीय पुलिस और केंद्रीय बलों को मजबूत करके नक्सल समस्या का अंत किया जा सकता है।
रक्षामंत्री के मुताबिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर कार्यरत जवानों को पूरा सहयोग दिया जा रहा है और रात में उनकी मदद के भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर करने की जरूरत पर भी बल दिया।