नई दिल्ली।। देपसांग में चीनी घुसपैठ के मसले पर लद्दाख के चुशुल इलाके में भारत और चीन की सेना के बीच मंगलवार को तीसरे दौर की फ्लैग मीटिंग भी बेनतीजा रही, लेकिन इस बारे में विदेश मंत्रालय और सैन्य अधिकारियों ने चुप्पी बरती हुई है। सूत्रों के मुताबिक, दोनों पक्षों ने फिर मिलने के लिए सहमति दी है। इस बैठक में चीनी सेना ने कुछ प्रस्ताव रखे जिसे भारतीय सेना ने मानने से इनकार कर दिया हालांकि इस पर भारत के आला सुरक्षा अधिकारी विचार करेंगे।
तीसरे दौर की फ्लैग मीटिंग ब्रिगेडियर स्तर की हुई। यह बातचीत दिन में 11 बजे शुरू हुई और तीन घंटे चली। दोनों के बीच पहले और दूसरे दौर की फ्लैग मीटिंग 16 और 22 अप्रैल को हुई थी। चीन ने अब तक यही कहा है कि उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा की किसी भी तरह अनदेखी नहीं की है। तीसरे दौर की फ्लैग मीटिंग में भारत की ओर से फिर जोर देकर कहा गया कि चीन बिना शर्त पहले की स्थिति पर वापस लौटे।
यहां सूत्रों ने बताया कि इस बातचीत के दौरान चीनी सेना ने कहा कि दोनों देशों के सैनिक आमने सामने की तैनाती से हटें और दोनों करीब 200 मीटर पीछे चले जाएं। यह प्रस्ताव मानने से चीन को रणनीतिक लाभ मिलेगा इसलिए भारतीय सेना इसे मानने से हिचक रही है। चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की ओर से बनाई गई सड़क और अन्य ढांचागत सुविधाओं के विकास का भी विरोध कर रही है।
दोनों देशों के सैनिक 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के मौके पर हर साल वास्तविक नियंत्रण रेखा पर रस्मी मुलाकातें करते हैं। ताजा विवाद के बावजूद लद्दाख के चुशुल इलाके में ही दोनों देशों के सैनिक मिलेंगे और एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटेंगे। यहां सैन्य सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात के दौरान भी सीमा घुसपैठ के मसले पर चर्चा हो सकती है।
विदेश मंत्री के चीन जाने के पहले भारत कोई समझौता खोजने की फिराक में है। भारतीय मीडिया और राजनीतिक हलकों में इस मसले पर भारत की नीति का तीखा विरोध की वजह से भारत सरकार पर दबाव बढ़ गया है। अगर विदेश मंत्री खुर्शीद घुसपैठ का मसला हल किए बिना चीन जाते हैं तो उनके दौरे पर सवाल उठाए जाएंगे।