राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नए और कड़े प्रावधानों वाले बलात्कार रोधी विधेयक पर अपनी मंजूरी की मोहर लगा दी है.
इस नए कानून में तेजाबी हमलों, पीछा करने और छुप-छुपकर घूरने जैसे अपराधों के लिए भी कड़ी सजा के प्रावधान किए गए हैं.
‘‘आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013’’
मुखर्जी ने मंगलवार को आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2013 को अपनी मंजूरी दे दी थी. इस विधेयक को राजधानी दिल्ली में पिछले वर्ष 16 दिसंबर को हुई नृशंस सामूहिक बलात्कार की घटना पर राष्ट्रीय स्तर पर उपजे आक्रोश की पृष्ठभूमि में लाया गया था.
अब इसे ‘‘आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013’’ के नाम से जाना जाएगा. एक सरकारी विज्ञप्ति में बुधवार को यह जानकारी दी गयी है.
इस विधेयक को लोकसभा ने 19 मार्च को और राज्यसभा ने 21 मार्च को पारित किया था. इस संबंध में तीन फरवरी को अध्यादेश जारी किया गया था.
इस विधेयक के जरिए भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम में संशोधन किए गए हैं.
बलात्कार जैसे अपराधों के खिलाफ कड़ी सजा के प्रावधान करने के मकसद से नए कानून में कहा गया है कि अपराधी को कड़े कारावास की सजा तक दी जा सकती है.
यह सजा 20 साल से कम नहीं होगी लेकिन इसे आजीवन कारावास तक में तब्दील किया जा सकता है.
आजीवन कारावास का मतलब दोषी के प्राकृतिक जीवन काल तक है और इसमें जुर्माना भी भरना होगा.
दूसरी बार अपराध पर सजा-ए-मौत
इस कानून में यह प्रावधान भी किया गया है कि ऐसे अपराधों के लिए पहले भी दोषी ठहराए गए अपराधियों को मौत की सजा दी जा सकती है.
इस कानून में पहली बार, पीछा करने और घूर-घूरकर देखने को गैर जमानती अपराध घोषित किया गया है, बशत्रे अपराधी दूसरी बार यह अपराध करते पकड़ा गया हो.
तेजाबी हमला करने वालों को दस साल की सजा का भी कानून में प्रावधान किया गया है.
इसमें पीड़ित को आत्मरक्षा का अधिकार प्रदान करते हुए तेजाब हमले की अपराध के रूप में व्याख्या की गयी है.
कानून में सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 साल तय की गयी है.
महिला संगठनों की कड़ी मांग के मद्देनजर पीछा करने और घूर कर देखने के संबंध में कानून में नये प्रावधान किए गए हैं.
इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि सभी अस्पताल बलात्कार या तेजाब हमला पीड़ितों को तुरंत प्राथमिक सहायता या मुफ्त उपचार उपलब्ध कराएंगे और ऐसा करने में विफल रहने पर उन्हें सजा का सामना करना पड़ेगा.