केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मंगलवार को सरकारी कर्मचारियों को तोहफा मिल सकता है.
कैबिनेट महंगाई भत्ता (डीए) मौजूदा 72 प्रतिशत से बढ़ाकर 80 प्रतिशत किये जाने के प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे सकता है. इस निर्णय से 50 लाख कर्मचारी और 30 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा.
एक सूत्र ने बताया, ‘‘केंद्रीय मंत्रिमंडल बैठक में महंगाई भत्ता 8 प्रतिशत बढ़ाकर 80 प्रतिशत करने के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है.’’
सरकार इसे मंजूरी देती है तो यह वृद्धि एक जनवरी 2013 से प्रभावी होगी.
इससे पहले पिछले वर्ष सितंबर में सरकार ने डीए बढ़ाकर 72 प्रतिशत किया था जो एक जुलाई 2012 प्रभाव में आया.
इससे अलावा वित्त वर्ष 2013-14 के लिए गैर यूरिया फास्फेट और पोटाश पर सब्सिडी तय की जाएगी. इनके अलावा कैबिनेट इंडो इरानी शिपिंग कंपनी इरानों हिंद को बंद करने पर भी फैसला ले सकता है.
प्रत्यक्ष नकद अंतरण से खाद्य, उर्वरक सब्सिडी में होगी कमी
प्रत्यक्ष नकद अंतरण योजना से वर्ष 2013-14 में खाद्य और उर्वरक सब्सिडी 60,000 करोड़ रुपए तक कम हो सकती है. इससे उच्च राजकोषीय घाटा के साथ साथ खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.
एक परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिये राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना ज्यादा जरूरी है. यह राजस्व घाटा खासकर सब्सिडी और गैर-उत्पादक व्यय में कमी के जरिए किया जा सकता है.
कृषि मूल्य और लागत आयोग (सीएसीपी) प्रमुख अशोक गुलाटी और कुछ अन्य विशेषज्ञों द्वारा तैयार परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि केंद्र और राज्यों का राजस्व घाटा संयुक्त रूप से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 8 प्रतिशत से ऊपर चला गया है. यह राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून, 2003 में निर्धारित दिशानिर्देश से काफी ऊपर है.
कृषि मंत्रालय के अधीन आने वाला सीएसीपी सांविधिक निकाय है. आयोग सरकार को विभिन्न कृषि जिंसों की कीमत नीति के बारे में सलाह देता है.
परिचर्चा पत्र में गुलाटी ने कहा है, ‘‘केंद्र स्तर पर राजकोषीय घाटे का महत्वपूर्ण हिस्सा ईंधन, खाद्य और उर्वरक सब्सिडी है. राज्य स्तर पर यह बिजली सब्सिडी है. आकलन बताते हैं कि प्रत्यक्ष नकद अंतरण से खाद्य और उर्वरक सब्सिडी में करीब 60,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है.’’
उन्होंने कहा कि हालांकि इसके लिये आधार के जरिये लक्षित लाभार्थियों तक प्रत्यक्ष नकद अंतरण के लिए राजनीतिक साहस के साथ नये रास्ते अपनाने की जरूरत होगी.
गुलाटी ने यह भी कहा कि ईंधन, खाद्य, उर्वरक और बिजली की कीमत को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है ताकि उसका कुशलता से उपयोग हो सके और सब्सिडी बिल को कम किया जा सके.
वित्त वर्ष 2012-13 में खाद्य और उर्वरक सब्सिडी 1,50,000 करोड़ रुपये से ऊपर जा सकती है.
गुलाटी ने परिचर्चा पत्र में यह भी कहा है, ‘‘घरेलू बाजार में या निर्यात के जरिये अनाज का अतिरेक भंडार कम किये जाने से गैर-उत्पादक व्यय में कमी होगी.’’
परिचर्चा पत्र के अनुसार बाजार में अनाज की आवक बढ़ने से खादय मुद्रास्फीति भी नीचे आएगी.