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आरुषि हत्याकांड : एक नया सनसनीखेज खुलासा

1628340044aaf7d1f5d3771.67343081गाजियाबाद। आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सीबीआई अधिकारी ने सनसनीखेज खुलासा किया है। एएसपी एजीएल कौल ने कोर्ट को बताया है कि वर्ष 2008 में हुए इस दोहरे हत्याकांड में वह क्लोजर रिपोर्ट की जगह चार्जशीट फाइल करना चाहते थे। लेकिन सीनियर्स उनकी बात से असहज थे और क्लोजर रिपोर्ट दायर करवाना चाहते थे।

कौल ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने तलवार दंपती, डा. दिनेश तलवार और डा. सुशील चौधरी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की अनुशंसा की थी। वरिष्ठ अधिकारी नीलाभ किशोर व जावेद अहमद ने महसूस किया था कि केस में आरोप पत्र लगाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। इसलिए मैंने अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी। डा. दिनेश तलवार डा. राजेश तलवार के भाई और डा. सुशील चौधरी डा. दिनेश के परिचित हैं।

बचाव पक्ष ने कौल से पूछा था कि उनके बडे़ अधिकारी अंतिम रिपोर्ट लगाने के पक्ष थे, तो उन्होंने स्वीकार किया कि सीनियर अधिकारी क्लोजर रिपोर्ट लगाने के पक्ष में थे। मामले के आरोपी डा. राजेश तलवार व डा. नूपुर तलवार सोमवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एस. लाल की अदालत में पेश हुए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर व मनोज सिसौदिया ने उनसे जिरह की।

कौल ने कहा कि यह कहना गलत है कि उन्होंने अंतिम रिपोर्ट में आरोपियों के विरुद्ध सभी साक्ष्यों का उल्लेख न किया हो, जो उनके पक्ष में थे व उनकी बेगुनाही साबित करते थे। उनके मुताबिक नौकर कृष्णा व राजकुमार के टेलीफोन के सीडीआर (काल डिटेल रिकार्ड) अंतिम रिपोर्ट के साथ नहीं प्रेषित की, क्योंकि वे दोनों अभियुक्त नहीं थे। मकान नंबर एल 32 जलवायु विहार में लगे बेसिक फोन नंबर का सीडीआर अंतिम रिपोर्ट में प्रेषित नहीं की, क्योंकि उसकी सीडीआर नहीं होती। इसके अलावा आरोपियों के क्लीनिक का डब्ल्यूएलएल टेलीफोन नंबर की सीडीआर भी प्राप्त नहीं की।

उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि 15 मई 2008 को टेलीफोन नंबर 6479896 से जो दो कॉल अपरान्ह 4.58 बजे व 5.37 बजे हेमराज के मोबाइल फोन पर कृष्णा द्वारा किए गए। यह कहना गलत है कि अंतिम रिपोर्ट में मैंने यह गलत लिखा कि 15 मई 2008 को कृष्णा व किसी भी नौकर के बीच कोई बात नहीं हुई।

उन्होंने बताया कि हेमराज का मोबाइल फोन पंजाब राज्य की सीमा के अंतर्गत एक्टिव पाया गया। टाटा टेलीकॉम से पता किया तो मालूम हुआ कि हेमराज के मोबाइल फोन पर एक एसएमएस घटना के बाद भेजा गया था, जिसका उल्लेख केस डायरी में किया गया, लेकिन अंतिम रिपोर्ट में कोई कागजात न्यायालय को नहीं भेजा गया।

कौल ने कहा कि एसएफएसएल (सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैब) के डा. राजेंद्र सिंह को बताया था कि छत पर हेमराज की लाश को डा. राजेश तलवार व डा. नूपुर तलवार या उनमें से किसी एक ने खींचा। डा. सिंह ने डमी टेस्ट किया था। उन्हें सुझाव नहीं दिया गया था कि डमी टेस्ट में एक मर्द और एक औरत का इस्तेमाल करना है। डमी टेस्ट की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी डा. राजेंद्र ने कराई थी, लेकिन उन्होंने अपनी रिपोर्ट के फोटोग्राफ व वीडियोग्राफी नहीं भेजे थे।

कौल ने कहा कि अंतिम रिपोर्ट में घटनास्थल को आरोपियों द्वारा परिदृश्य बदलने के जो आधार लिखे थे, वह सही थे। उन्होंने कहा कि सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी नीलाभ किशोर व जावेद अहमद के विचार में यह केस अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने का था, लेकिन मेरे विचार से इसमें आरोप पत्र आरोपियों के खिलाफ दाखिल करने का था। यह कहना गलत है कि आरोपियों ने न तो आरुषि व हेमराज की हत्या की और न ही उन लोगों ने हेमराज की लाश को नीचे से ऊपर छत पर ले जाकर रखा।

NCR Khabar News Desk

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