पहले सुनहरे सपने दिखाए और फिर लूट ली गाढ़ी कमाई। कुछ ऐसा ही पश्चिम बंगाल की चिटफंड कंपनी शारदा ग्रुप ने 10 लाख लोगों के साथ किया। जब रकम लौटाने की बारी आई तो 20,000 करोड़ रुपये लेकर दफ्तरों पर ताला लगा दिया।
शारदा गुप के कर्ताधर्ता ने आम लोगों के ठगने के लिए कई लुभावन ऑफर दिए। सागौन से जुड़े बॉन्ड्स में निवेश से 25 साल में रकम 34 गुना करने का ऑफर दिया।
वहीं आलू के कारोबार में निवेश के जरिए 15 महीने में रकम दोगुना करने का सब्जबाग दिखाया। कंपनी बंद होने से हजारों बेरोजगार हुए और लाखों लोगों के सपने टूटे।
अब जब कंपनी के सीएमडी सुदीप्तो सेन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है तो उसकी पहचान को लेकर ही संदेह है। रिकॉर्ड में सुदीप्तो सेन के पिता का नाम नृपेंद्र नारायण सेन दर्ज है।
चर्चा है कि सुदीप्तो सेन के पिता का असली नाम भूदेव सेन है, जो 80 के दशक में बंगाल में संचयनी ग्रुप के जरिए लोगों को करोड़ों की चपत लगाकर फरार हो गए थे।
कोलकाता का शारदा समूह रीयल इस्टेट, पर्यटन और मीडिया के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय था। अब तक की जांच से इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि इस समूह के नाम छोटी-बड़ी 56 कंपनियां पंजीकृत थीं।
वर्ष 2010 में जब मीडिया के क्षेत्र में भारी मंदी का दौर चल रहा था, तब शारदा समूह ने एक साथ अंग्रेजी, बांग्ला, हिंदी और उर्दू के अखबार और बांग्ला टीवी चैनल शुरू किए थे।
मीडिया में जबरदस्त तरीके से कदम रखने के बाद ही पहली बार इस समूह का नाम सुर्खियों में आया था। उन अखबारों में पत्रकारों को भारी-भरकम पैकेज पर रखा गया था।
कंपनी ने राज्यभर में फैले लाखों एजेंटों के जरिए गरीब तबके के लोगों को लुभावने सपने दिखा कर करोड़ों रुपये बटोरे लेकिन जब मियादी जमा की मियाद पूरी होने पर लोगों के पैसे लौटाने का वक्त आया, तो समूह ने तमाम अखबार और टीवी चैनल बंद कर दिए और दफ्तरों पर ताला लगा दिया।
कंपनी ने 16 अप्रैल यानी बांग्ला नववर्ष के अगले दिन से पैसे लौटाने का वादा किया था लेकिन उसी दिन से कंपनी बंद हो गई और मालिक फरार हो गए।
शारदा समूह की शुरुआती जांच में अब तक विभिन्न बैंकों में समूह के 60 खातों का पता चला है लेकिन उनमें बेहद मामूली रकम है।
मोटे अनुमान के मुताबिक राज्य के कम से कम दस लाख लोगों ने समूह की विभिन्न योजनाओं में डेढ़ से दो हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है। असली रकम और ज्यादा हो सकती है।
समूह के दफ्तरों में तलाशी के दौरान निवेशकों से जुटाई गई रकम का पूरा ब्योरा नहीं मिला है। जांचकर्ताओं का अनुमान है कि विपत्ति सिर पर मंडराते देख कर सुदीप्तो और उनकी खास टीम ने तमाम कागजात पहले ही गायब कर दिए थे।
अब जांचकर्ताओं के पास न तो कोई कागजात हैं और न ही समूह के खातों में जमा की गई रकम। माना जा रहा है कि सुदीप्तो ने बीते दो-तीन वर्षों से निवेशकों से जुटाई गई रकम को धीरे-धीरे दूसरी जगह हटा दी थी।
शारदा समूह के मालिक मालिक सुदीप्तो सेन के कामकाज का तरीका बेहद गोपनीय था। उसके दफ्तर में गिने-चुने कर्मचारी ही सुदीप्तो से मिलते थे।
उनके इर्द-गर्द रहने वाली छह महिलाओं की टीम को इन मामलों की जानकारी होती थी। सुदीप्तो के अलावा समूह की कार्यकारी निदेशक देबजनी मुखर्जी को ही इस बात की पुख्ता जानकारी रहती थी कि बाजार से कितनी रकम उगाही जा रही है।
शारदा समूह की इस हेराफेरी में एक एजेंट भी आत्महत्या कर चुका है। तो कुछ निवेशकों ने खुद ही मौत को गले लगा लिया।
घर-घर झाड़ू पोंछा कर गुजर बसर कर रही 50 वर्षीया उर्मिला प्रामाणिक ने तीन साल पहले शारदा समूह की एक कंपनी में दस-दस हजार के तीन फिक्स्ड डिपाजिट किए थे। कंपनी एजेंट ने प्रामाणिक को सात साल में एक लाख रुपये मिलने का भरोसा दिलाया था।
लेकिन पिछले दिनों कंपनी पर ताला लगने की खबरों के बाद उर्मिला की नींद उड़ गई अंत में जब उर्मिला का यह दर्द असहनीय हो गया, तो उसने शनिवार को आग लगाकर खुदकशी कर ली।