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शारदा चिट-फण्ड : आखिर है कौन ये सुदीप्तो सेन

saradha-chit-fund-scam-not-clear-who-leaked-sudipta-sens-letter-to-cbiलाखों निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये डकारने वाली शारदा चिट-फण्ड के चेयरमैन सुदिप्तो सेन की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। इसमें सस्पेंस, थ्रिलर, ड्रामा और मिस्ट्री सब कुछ है जो फिल्म को हिट बनाती है।

सुदीप्तो कहां रहता है इसकी कोई अधिकारिक जानकारी नहीं है। माना जाता है कि कोलकाता के साल्ट लेक में उसके पांच घर है जहां वह अकेला रहता है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था, ”मैंने खुद सुना है कि सेन की तीन बीवी हैं।”

असली नाम शंकर
सुदीप्तो सेन नामक इस शख्स का असली नाम शंकरादित्य सेन है। घरवाले उसे शंकर कहते थे। पासपोर्ट रिकॉर्ड में सुदीप्तो सेन के पिता का नाम नृपेंद्र नारायण सेन दर्ज है।

चर्चा है कि सुदीप्तो के पिता का भी असली नाम भूदेव सेन है जो 1980 के दशक में पश्चिम बंगाल में संचयनी ग्रुप के जरिए लोगों को करोड़ों की चपत लगाकर फरार हो गए थे।

सुदीप्तो के पासपोर्ट के मुताबिक 30 मार्च 1959 को जन्मे सुदीप्तो चार-भाई बहनो में तीसरे नंबर पर था। भारत विभाजन के दौरान उसके माता-पिता ढाका से कोलकाता आ गए थे।

पहले नक्सली था?
कथित तौर पर चिटफंड के धंधे में आने से पहले सुदीप्तो नक्सली था। 1970 के दशक में जब नक्सली आंदोलन पश्चिम बंगाल में चरम पर था और उसने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

इस दौरान वह एक बार जेल भी गया। शंकर की जिंदगी में सबसे बड़ा यू-टर्न जेल जाने के बाद आया।

चेहरा बदलने को सर्जरी करवाई?
एक दिन सुदीप्तो अचानक गायब हो गया। अफवाह तो यह भी है कि सुदीप्तो सेन ने 1990 में अपना चेहरा बदलने के लिए प्लास्टिक सर्जरी करवाया था।

1980 के दशक में सुदीप्तो ने प्रॉपर्टी का कारोबार शुरू किया। राजनेताओं और पुलिस की सहयोग से उसने जल्द ही ‌प्रॉपर्टी कारोबार में अच्छी-खासी जान पहचान बना ली।

प्रॉपर्टी कारोबार से बनाया पैसा
सुदीप्तो ने कोलकाता से सटे दक्षिण परगना जिले में हजारों बीघा जमीन खरीदी। इस जमीन पर सैकड़ों फ्लैट बनाकर खूब मुनाफा कमाया।

शोहरत और दौलत की चकाचौंध सुदीप्तो पर इस कदर हावी हुई कि उसने अपने भाई और संबंधियों से भी रिश्ता तोड़ लिया।

सुदीप्तो के छोटे भाई विक्रमादित्य का कहना है कि वह अपनी मां के मरने पर भी घर नहीं आया था।

बीबीसी के टे‌लीविजन ड्रामा ”यस, प्राइम मिनिस्टर” में एक बैंकर कहता है, ”यदि आप अयोग्य हैं तो आपको ईमानदार होना होगा। और यदि आप धूर्त हैं तो आपको चालाक होना चाहिए।”
इसी फॉर्मूला के सहारे सुदीप्तो ने प्रॉपर्टी कारोबार के बाद मीडिया कारोबार में कदम रखा। जल्द ही उसने मीडिया इंडस्ट्री में जबर्दस्त पैठ बना ली।

सुदीप्तो ने शारदा चिट-फण्ड 2006 में लांच किया था। जब शारदा चिटफंड की 24 हजार करोड़ रुपये ठगी का मामला सामने आया तो कंपनी की वेबसाइट पर सुदीप्तो की एक फोटो तक नहीं थी।

अब कंपनी के करीब तीन लाख एजेंट को डर सता रहा है कि उनका क्या होगा। लोगों का गुस्सा और भविष्य की चिंता से इनकी रातों की नींद हराम हो चुकी है। इनमें से एक एजेंट तो आत्महत्या भी कर चुका है।

NCR Khabar News Desk

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