इस्लामाबाद। पाकिस्तान की अंतरिम सरकार ने पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को राहत देते हुए उन पर देशद्रोह का मुकदमा न चलाने का फैसला किया है। सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी। अटॉर्नी जनरल इरफान कादिर ने अदालत को बताया कि सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज न करने का फैसला किया है। कई वकीलों ने याचिका दायर कर पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की थी। इस पर अदालत ने अंतरिम सरकार का पक्ष पूछा था।
कादिर ने कहा कि यह मुकदमा चलाने का फैसला अंतरिम सरकार ने 11 मई के आम चुनाव के बाद चुनी जाने वाली सरकार पर छोड़ दिया है। संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने का अधिकार सिर्फ चुनी हुई सरकार को होता है। जस्टिस जव्वाद ख्वाजा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अंतरिम सरकार के इस फैसले पर नाखुशी जताई है।
ख्वाजा ने कहा कि अदालत पिछले आठ दिनों से जवाब मांग रही है और प्रशासन अब कह रहा है कि वह कुछ नहीं कर सकता। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अंतरिम सरकार ऐसे किसी भी विवादास्पद मामले में नहीं पड़ना चाहती जिसे चुनाव जीतने वाली सरकार वापस न ले सके।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के वकीलों को सोमवार को उनसे नहीं मिलने दिया गया, जिसके बाद वकीलों ने नाखुशी का इजहार किया। फार्म हाउस में तैनात जेल अधिकारियों ने वकीलों से कहा कि मुलाकात के लिए पंजाब सरकार से अनापत्ति प्रमाणपत्र लाना जरूरी है। मुशर्रफ की कानूनी टीम के प्रमुख अहमद रजा कसूरी ने इस पर एतराज जताते हुए कहा कि जब हम अपने मुवक्किल से बात नहीं कर पाएंगे तो मुकदमा कैसे लड़ेंगे? यह स्थिति बिना हथियारों के जंग लड़ने जैसी है।