अमेरिका की दिग्गज मल्टी ब्रांड रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने लॉबिंग के आरोप में अपने खिलाफ भारत में चल रही जांच के बावजूद भारतीय रिटेल सेक्टर में प्रवेश के लिए अमेरिका में लॉबिंग जारी रखी है।
अमेरिकी संसद में इस संबंध में पेश की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में वॉलमार्ट में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को लेकर लॉबिंग फर्म की सेवाओं का इस्तेमाल किया है।
अमेरिकी संसद के सदन सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में 22 अप्रैल को पेश की गई 17 पन्नों की एक रिपोर्ट के मुताबिक वॉलमार्ट ने बीती तिमाही के दौरान करीब 50 मुद्दों पर विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों के साथ लॉबिंग पर कुल 18.4 लाख डॉलर की राशि खर्च की।
इसके अलावा कंपनी ने विदेशी निवेश, टैक्स संबंधी मामलों, साइबर सिक्यूरिटी, डाटा सिक्यूरिटी, ई-कॉमर्स और आव्रजन (इमिग्रेशन) संबंधी मामलों को लेकर भी लॉबिंग की। इसके अलावा सोर्सिंग व मेन्यूफेक्चरिंग संबंधी मामलों को सुलझाने के लिए भी कंपनी द्वारा लॉबिंग की गई।
गौरतलब है कि पिछले साल भारी राजनीतिक विरोध के बीच सरकार ने मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई की अनुमति देकर वॉलमार्ट जैसी कंपनियों के लिए भारत आने के दरवाजे तो, खोल दिए लेकिन एक निश्चित सीमा तक देश से ही खरीदारी करने की शर्त भी रखी गई है।
इसे लेकर कई विदेशी कंपनियां संशय में हैं और इस नियम में नरमी के लिए लॉबिंग किए जाने का मामला सामने आने के बाद वॉलमार्ट के खिलाफ जांच चल रही है।
सरकार द्वारा हरियाणा और पंजाब के पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल की अध्यक्षता में गठित समिति इस मामले की जांच कर रही है। बीते सप्ताह ही इस समिति का कार्यकाल एक महीने बढ़ाया है।
समिति अब 1 मई के बजाय 31 मई तक वॉलमार्ट पर आई लॉबिंग के आरोपों की जांच करके अपनी रिपोर्ट देगी।