दिल्ली के वसंत विहार गैंगरेप में शामिल छह आरोपियों को महज चौबीस घंटे में पकड़ लेने का दावा करने वाली दक्षिणी जिला पुलिस बसपा नेता दीपक भारद्वाज की हत्या की जांच में फिसड्डी साबित हुई है.
सोमवार को यदि क्राइम ब्रांच की एंटी-एक्सटॉर्सन सेल अरबपति व्यवसायी व बसपा नेता दीपक भारद्वाज की हत्या में शामिल पुरुषोत्तम राणा व सुनील मान को गिरफ्तार नहीं करती, तो शायद यह केस क्राइम ब्रांच या स्पेशल सेल को स्थानान्तरित किया जा सकता था.
सूत्रों के अनुसार दोनों मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद क्राइम ब्रांच इस बहुचर्चित हत्याकांड की तह तक पहुंच पाती, इससे पहले ही वरिष्ठ अधिकारियों से मिले निर्देश के अनुसार पकड़े गए दोनों आरोपियों को दक्षिणी जिला पुलिस के हवाले कर दिया गया.
क्राइम ब्रांच सूत्रों का कहना है कि सिर्फ इतना पता चला है कि इस घटना का मास्टरमाइंड दीपक भारद्वाज का बेहद करीबी है और पुलिस इस शख्स से भी कई दौर की पूछताछ कर चुकी है. लेकिन जब तक उस व्यक्ति के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाता है, ऐसे में उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाना मुश्किल है.
सूत्रों का कहना है कि पुरुषोत्तम राणा इस घटना का मुख्य आरोपी है और उसी ने अपने दोस्त सुनील मान, राकेश व जहांगीरपुरी के रहने वाले अमित के साथ मिलकर बसपा नेता दीपक भारद्वाज की हत्या का प्लान बनाया था.
दीपक भारद्वाज की हत्या करने के लिए पुरुषोत्तम राणा ने सबसे पहले शार्पशूटर सुनील मान से संपर्क किया. पुरुषोत्तम राणा ने सुनील से कहा कि रजोकरी इलाके में रहने वाले दीपक भारद्वाज नामक व्यक्ति पर उसका पचास हजार रुपए बकाया है और बार-बार मांगने पर भी दीपक रुपए वापस नहीं कर रहा है. पुरुषोत्तम राणा की बात सुनकर सुनील उसकी मदद करने को तैयार हो गया.
सूत्रों का कहना है कि दरअसल सुनील अपने पड़ोसी गांव के रहने वाले एक आवारागर्द युवक से परेशान था और वह पुरुषोत्तम राणा के पास उस आवारागर्द युवक को सबक सिखाने के लिए मदद मांगने गया था लेकिन पुरुषोत्तम राणा को जब सुनील के इरादे के बारे में जानकारी मिली तो उसने सुनील को मदद करने के नाम पर दीपक भारद्वाज की हत्या किए जाने की घटना में शामिल कर लिया था.
पुलिस का मानना है कि पुरुषोत्तम राणा दीपक पर पचास हजार रुपए बकाया होने की बात कहकर जांच टीमों को भ्रमित कर रहा है, दरअसल यह मामला सुपारी किलिंग से जुड़ा है और पुरुषोत्तम राणा ने भी स्वीकार किया है कि बसपा नेता दीपक भारद्वाज की हत्या के लिए उसे मोटी रकम की सुपारी दी गई थी.
उसने सुपारी देने वाले व्यक्ति के नाम का भी खुलासा किया है लेकिन जब तक इस बारे में तह तक जांच नहीं हो पाती, उस व्यक्ति के नाम का खुलासा करना सही नहीं है. सूत्रों का कहना है कि पुरुषोत्तम राणा ने दीपक भारद्वाज की हत्या के समय कार चला रहे अमित को तो दो हजार रुपए दिए लेकिन सुनील को फूटी कौड़ी तक नहीं दी जबकि आशंका है कि वह सुपारी देने वाले व्यक्ति से मोटी रकम प्राप्त कर चुका है.
सूत्रों ने दावा किया कि दीपक भारद्वाज की हत्या के बाद अमित, पुरुषोत्तम राणा व सुनील मान गुड़गांव होते हुए ग्रेटर नोएडा गए थे, जहां से पुरुषोत्तम राणा कोल्हापुर जाने के फिराक में था वहीं अमित जहांगीरपुरी जाकर छिप गया था. पुरुषोत्तम राणा व सुनील ने जब निरंतर पुलिस के बढ़ते दबाब को देखा तब दोनों ने सरेंडर के लिए शुक्रवार को रोहिणी कोर्ट के एक वकील से संपर्क किया था. सोमवार को जब दोनो सरेंडर करने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट गए तब क्राइम ब्रांच ने दोनों को धर दबोचा था.