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नौवीं के छात्रों ने बनाया आवाज से चलने वाला कंप्यूटर

रायपुर। कक्षा नौवीं के छात्रों ने एक ऐसा साफ्टवेयर डेवलप किया है, जिसमें कंप्यूटर व लैपटॉप को बिना छुए केवल आवाज के माध्यम से ऑपरेट किया जा सकता है।

यह अपनी तरह का अनोखा साफ्टवेयर है। इसमें कंप्यूटर को बोलकर निर्देशित किया जाता है। इसमें वॉयस कमांड से कंप्यूटर के किसी भी साफ्टवेयर को ओपन व रन कर सकते हैं। मसलन केलकुलेटर का उपयोग करने के लिए कंप्यूटर को पहले इसे ओपन करने का निर्देश देंगे। फिर जिनती संख्या का जोड़-घटाना व गुणा-भाग करना चाहते हैं, कंप्यूटर को बोलकर कमांड देंगे। कंप्यूटर आवाज सुनकर ऑटोमैटिक केलकुलेटर पर टाइप करता जाएगा और जो परिणाम आएगा, उसे प्रदर्शित करेगा।

नैटली नाम के इस अनोखे साफ्टवेयर को देहली पब्लिक स्कूल रायपुर के 9वीं कक्षा के छात्र पीयूष अग्रवाल व हर्षित पोद्दार ने ईजाद किया है। नैटली के माध्यम से न केवल कोई साफ्टवेयर रन कर सकते हैं, बल्कि इसके माध्यम से हार्डवेयर भी आपरेट किए जा सकते हैं। जैसे कंप्यूटर में हार्डडिस्क इंसर्ट व इजेक्ट करना।

 

कंप्यूटर पर टाइप करना होगा आसान

इस साफ्टवेयर के सहारे कोई भी अपने कंप्यूटर व लैपटॉप पर बिना टाइप किए वर्ड फाइल बना सकते हैं। इसमें आप केवल बोलते जाएंगे और कंप्यूटर इसे सुनकर अपने डिक्शनरी से उन शब्दों को ऑटोमैटिक टाइप करता जाएगा। यह काम एक्यूरेट व फास्ट होगा। इससे कंप्यूटर पर टाइप करना आसान हो जाएगा।

 

छह महीने की कड़ी मेहनत का परिणाम

छात्रों ने बताया कि वे इसे छह महीने की कड़ी मेहनत से तैयार किए हैं। वे रोजाना अपनी कक्षा की पढ़ाई के साथ ही 3 से 4 घंटे का समय इस साफ्टवेयर को डेवलप करने में दे रहे हैं। उन्होंने इसे प्रदर्शित करते हुए बताया कि यह अभी प्रारंभिक स्टेज पर है। इस पर अभी और बहुत काम करना बाकी है।

 

कंप्यूटर साइंस में रिसर्च

छात्रों ने बताया कि उनकी योजना है कि नैटली को उस स्तर पर डेवलप करें कि यह न सिर्फ साफ्टवेयर आपरेट करें, बल्कि यह नए कंप्यूटर यूजर को आपरेट करना भी सिखाए। उन्होंने बताया कि यह उनका पहला प्रोजेक्ट है। वे इस तरह के कुछ अन्य प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जो एक-दो साल में पूरे हो जाएंगे। दोनों छात्र कंप्यूटर साइंस में रिसर्च करना चाहते हैं। वे इस क्षेत्र में देश को विश्व में अग्रणी बनाना चाहते हैं।

 

नैटली ऐसे करता है काम

नैटली एक ऐसा साफ्टवेयर है, जो दिए जा रहे वॉयस कमांड को कंप्यूटर के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में बदल देता है। यह स्पीट एपीआई के तहत काम करता है। इसमें कंप्यूटर को जो कमांड की-बोर्ड व माउस के सहारे मिलता है, उसी तरह का कमांड वॉयस से मिलता है, जिसे कंप्यूटर डिटेक्ट कर रिजल्ट देता है।

 

ऐसे अभिनव प्रयोगों को बढ़ावा देने की जरूरत

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफारमेशन टेक्नोलॉजी इलाहाबाद के डीन प्रो. ओपी व्यास का कहना है कि यह प्रशंसनीय कार्य है। 9वीं जैसे छोटी कक्षा में पढ़ने वाले छात्र साफ्टवेयर डेवलप कर रहे हैं। स्कूलों में ऐसे अभिनव प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इन्हें प्रोत्साहित कर ऊंचे स्तर पर ले जाने की जरूरत है।

 

छात्रों का प्रयास सराहनीय

एनआईटी रायपुर के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के प्रो. नरेश कुमार नागवानी का कहना है कि यह एकदम नई चीज नहीं है। यह स्पीच एपीआई का एक पार्ट है। बहुत से वाइस बेस कमांड पर आधारित साफ्टवेयर पहले से ही उपलब्ध हैं। कुछ मोबाइल फोन पर भी ऐसी सुविधा है। फिर भी स्कूल के बच्चों का यह प्रयास सराहनीय है। आमतौर पर इंजीनियरिंग स्टूडेंट इस तरह के प्रयोग करते हैं।

NCR Khabar News Desk

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