नहीं रहे आईवीएफ तकनीक के जनक सर रॉबर्ट एडव‌र्ड्स

लंदन। टेस्ट ट्यूब तकनीक [आईवीएफ] को विकसित करने वाले प्रोफेसर सर रॉबर्ट एडव‌र्ड्स अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनका बुधवार को 87 वर्ष की आयु में लंदन में निधन हो गया। उनकी इजाद की गई इस तकनीक से दुनिया भर में आज तक करीब पचास लाख बच्चे पैदा किए जा चुके हैं। उनकी यह तकनीक दुनिया भर में कई परिवारों के लिए खुशियों की सौगात बनकर आई और लाखों घरों में इस तकनीक के सहारे बच्चों की किलकारियां गूंजी।

वर्ष 1980 में उन्होंने ब्रॉन हाल में पहला आईवीएफ क्लिनिक खोला था। वर्ष 1978 में जब सर रॉबर्ट के प्रयासों से ओल्डहैम जनरल हॉस्पिटल में 1978 में लुईस ब्राउन ने जन्म लिया, तब इस बात का किसी को अंदाजा भी नहीं था कि ऐसा कुछ हो सकता है। दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी आज 34 वर्ष की है। उन्हें इस बात की खुशी है कि सर एडव‌र्ड्स की इस तकनीक को नोबेल पुरस्कार मिलने से मान्यता प्राप्त हुई। उनका कहना है कि इस तकनीक की बदौलत कई परिवारों के चेहरों पर खुशियां लाने में वह कामयाब रहे।

सर एडव‌र्ड्स कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में फेलो थे। विश्वविद्यालय के मुताबिक इस तकनीक की वजह से कई क्रांतिकारी बदलाव दिखाई दिए। उनका जन्म 1925 में यॉर्कशायर में हुआ था। वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की सेना से जुड़े रहे। बाद में उन्होंने कृषि विज्ञान की पढ़ाई की। इसके बाद उनका रुझान आनुवांशिकी विज्ञान की ओर बढ़ा, फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आईवीएफ तकनीक को सबसे पहले उन्होंने एक मादा खरगोश पर इस्तेमाल किया था, जिसके परिणाम शत-प्रतिशत मिलने के बाद इसको इंसान पर इस्तेमाल किया गया। वर्ष 1968 में कैम्ब्रिज में एक प्रयोगशाला में उन्होंने पहली बार गर्भ के बाहर मानव भ्रूण विकसित किया।

अपने सफल परिक्षण के बाद एडव‌र्ड्स के चेहरे पर संतोष और खुशी के भाव स्पष्ट देखे जा सकते थे। उनकी इस तकनीक के लिए उन्हें वर्ष 2010 में नोबेल पुरस्कार दिया गया। हालांकि बीमारी के चलते वह इसको ग्रहण करने के लिए स्टॉकहोम नहीं जा सके। यह पुरस्कार उनकी पत्नी ने हासिल किया।