दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) कार्यकारिणी की शनिवार को हुई बैठक काफी हंगामेदार रही। यह बैठक शिक्षकों से जुड़े कई अहम मुद्दे को लेकर थी। जिसमें प्रमुख मुद्दा चार हजार अस्थाई शिक्षकों को स्थाई करने का भी था।
लेकिन बैठक बिना किसी नतीजे के हंगामे के बाद समाप्त हो गई। वहीं यह बैठक अध्यक्ष की भूमिका, सदस्यों का आचरण और डूटा के आंतरिक राजनीति और कलह से जुड़े कई सवाल छोड़ गई। कुछ सदस्य दबी जुबान में यह भी कह रहे हैं कि वाम के नेतृत्व ने डूटा के वजूद को खतरे में डाल दिया है।
डूटा के सचिव एसडी सिद्दिकी ने बताया कि डूटा के वरिष्ठ सदस्य शैकत घोष ने उनके साथ अभद्रतापूर्वक बात की। जिससे उनकी ही नहीं डूटा के अन्य प्रमुख सदस्यों की भावनाएं आहत हुई। उन्होंने डूटा अध्यक्ष अमरदेव शर्मा की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा किया।
उन्होंने बताया कि डूटा वर्तमान समय में अपने मुद्दे से हट गई है। वर्तमान समस्या शिक्षकों की है लेकिन यह चार वर्षीय पाठ्यक्रम के पीछे पड़े हैं। उधर, शैकत घोष का कहना है कि उन्होंने सचिव की बात का संज्ञान लेते हुए टिप्पणी की जो उनको बुरी लगी, मैंने इसके लिए माफी भी मांगी लेकिन ये लोग मेरी बात सुनकर विरोध करने लगे।