गुटखा पाबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों से मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने तंबाकू प्रयुक्त गुटखा और पान मसाला के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध पर अमल के बारे में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों से रिपोर्ट तलब की है.

न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 23 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों को इस संबंध में चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.

तीन मई को सुनवाई

इन राज्यों ने गुटखा पर प्रतिबंध लगाने के लिये नियम बनाये हैं. न्यायालय इस मामले में अब तीन मई को आगे सुनवाई करेगा.

न्यायालय ने केन्द्र सरकार के कथन के बाद यह आदेश दिया.

केन्द्र सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित इन राज्यों में कानून और नियमों की अनदेखी करके गुटखा का उत्पादन और बिक्री हो रही है.

इन राज्यों में अधिकारी नियमों को सही तरीके से लागू नहीं कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में गुटखा प्रतिबंध एक अप्रैल से प्रभावी

उत्तर प्रदेश में गुटखा पर प्रतिबंध एक अप्रैल से प्रभावी हो गया है. गुटखा के उत्पादन और बिक्री पर महाराष्ट्र में जुलाई 2012 से और दिल्ली में सितंबर, 2012 से पाबंदी लगी है.

इससे पूर्व, शीर्ष अदालत ने गैर सरकारी संगइन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान देश में गुटखा, पान मसाला और दूसरे तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के सवाल पर केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया था.

यह संगठन चाहता है कि गुटखा और पान मसाला पर प्रभावी तरीके से प्रतिबंध लगाया जाये.