मायाराज में राजधानी लखनऊ व नोएडा में अंबेडकर स्मारकों के निर्माण में सरकारी खजाने को 14 अरब रुपये से ज्यादा की चपत लगी है। यह खुलासा हुआ है ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट में। �
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मारकों के लिए पत्थरों की खरीद व तराशी तथा अन्य सामानों को बाजार दर से 34 फीसदी ज्यादा दर पर खरीदा गया था।
स्मारक निर्माण घोटाले की जांच करने वाली एजेंसी आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) का मानना है कि इस धनराशि की बंदरबांट राजनेताओं, अफसरों व ठेकेदारों के बीच हुआ है।
ईओडब्ल्यू ने घोटाले के लिए पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा के अलावा लोक निर्माण विभाग, राजकीय निर्माण निगम व भूतत्व व खनिकर्म विभाग के अभियंताओं को जिम्मेदार ठहराया है।
दिलचस्प बात यह है कि जांच रिपोर्ट में किसी भी आईएएस अफसर पर उंगली नहीं उठाई गई है। जांच रिपोर्ट में पत्थरों को तराशी के लिए मिर्जापुर से राजस्थान भेजने तथा वहां से निर्माण स्थल तक पहुंचाने पर हुए परिवहन व्यय का ब्योरा शामिल नहीं है।
ईओडब्ल्यू की ओर से लोकायुक्त को सौंपी गई रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। ईओडब्ल्यू के अनुसार लखनऊ तथा नोएडा में स्मारकों के निर्माण में सरकारी खजाने को 14.10 अरब रुपये की क्षति हुई है।
पत्थरों से लेकर अन्य सामानों की खरीद से पहले बाजार से भाव नहीं पता कराया गया। तर्कसंगत दरों पर सामानों की आपूर्ति के लिए टेंडर की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर सामानों की आपूर्ति कराने के बजाय उच्चस्तर पर निर्णय करके एक सप्लायर चुन लिया गया।
जांच रिपोर्ट के अनुसार स्मारकों के निर्माण के लिए राजकीय निर्माण निगम, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, लोक निर्माण विभाग, नोएडा अथॉरिटी, लखनऊ विकास प्राधिकरण, संस्कृति तथा भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा कुल 42.76 अरब रुपये जारी किए।
इसमें से 41.48 अरब रुपये खर्च किए गए। स्मारकों के लिए आपूर्ति किए पत्थरों और अन्य सामानों का भुगतान बाजार दर से 34 फीसदी अधिक दर पर किया गया। अगर प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया अपनाई गई होती तो 14.10 अरब रुपये से ज्यादा बचाए जा सकते थे।
पत्थरों की खरीद करने में न केवल मानकों की अनदेखी की गई बल्कि राजकीय निर्माण निगम के वर्क मैनुअल के� प्रावधानों का भी पालन नहीं किया गया।
नसीमुद्दीन, बाबू सिंह पर उंगली
रिपोर्ट में ऊंची दर पर पत्थरों की खरीद का अनुमोदन देने के लिए तत्कालीन कैबिनेट मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा, पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन प्रमुख अभियंता, राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी व परियोजना अधिकारियों, भूतत्व खनिकर्म निदेशालय के संयुक्त निदेशक समेत कुछ अन्य अधिकारियों पर भी उंगली उठाई गई है।
लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन के मेहरोत्रा का कहना है कि ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट का अभी अध्ययन किया जा रहा है। ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच में कुछ निष्कर्ष निकाले हैं जिसका परीक्षण किया जा रहा है। पूरी रिपोर्ट देखने के बाद आगे की कार्यवाही के बारे में निर्णय किया जाएगा।
प्राइम नंबर
– स्मारकों के लिए विभागों की ओर से जारी कुल धनराशि: 42,76,83,43,000 रुपये
– स्मारकों पर खर्च की गई कुल धनराशि: 41,48,54,80,000
– आपूर्ति किए एक पत्थरों व सामानों की कीमत बाजार दर के मुकाबले 34 फीसदी ज्यादा
– सरकार को हुई राजस्व क्षति: 14,10,50,63,200 रुपये