भारत में कस्टमर्स के बीच लो-कॉस्ट और कॉम्पैक्ट कार चमक खो रही हैं। कस्टमर्स छोटे एंट्री-लेवल कार की जगह प्रीमियम हैचबैक और कॉम्पैक्ट सेडान कार खरीद रहे हैं।
मारुति की ऑल्टो, एस्टिलो, टाटा की नैनो, जीएम स्पार्क और ह्यूंडई सैंट्रो की डिमांड लगातार घट रही है। वहीं, मारुति स्विफ्ट और डिजायर, महिंद्रा की बोलेरो, टोयोटा की इनोवा और ह्यूंडई की आई20 की सेल्स अच्छी बनी हुई है। ये सभी मॉडल्स फाइनैंशल ईयर 2013 के टॉप 10 में शामिल रहे।
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के प्रेजिडेंट एस शांडिल्य का कहना है, ‘कंज्यूमर का टेस्ट बदल रहा है। लोगों को आज बड़ी कारें ज्यादा पसंद आ रही हैं। एंट्री लेवल कारों में उनकी दिलचस्पी कम हो गई है।’ सियाम के डाटा के अनुसार, ऑल्टो भारत में अभी भी नंबर वन कार है, लेकिन इसकी एनुअल सेल्स 15 फीसदी घटकर 2.66 लाख यूनिट रह गई। नई ऑल्टो800 से भी इसकी सेल्स नहीं बढ़ी। पिछले फाइनैंशल ईयर में माइक्रो कार सेगमेंट की सेल्स 13 फीसदी गिरकर 6.23 लाख यूनिट रह गई। वहीं, फिस्कल ईयर 2011 में माइक्रो कार की सेल्स 7.16 लाख यूनिट थी। नैनो, स्पार्क और सैंट्रो टॉप सेलिंग कारों की लिस्ट से बाहर हो चुकी हैं।