भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह अपने गृह प्रदेश के लिए ही अब तक चुनाव प्रभारी नहीं ढूंढ़ पाए हैं।
दरअसल राजनाथ सिंही यूपी में कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते इसलिए वह यहां के लिए ऐसे प्रभारी की तलाश में जो चुनावी मैनेजमेंट का का विशेषज्ञ और राजनीतिक दांव-पेंच में पारंगत हो।
इस कसौटी पर उनकी नजर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी और अपनी टीम में तेजतर्रार राष्ट्रीय महासचिव अमित शाह पर टिकी है।
दूसरे महासचिव जगत प्रकाश नड्डा भी दावेदारों में शामिल हैं। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा भी प्रभारी पद की दौड़ में शामिल हैं। पर, ज्यादा संभावना अमित शाह के ही प्रभारी बनने की है।
दरअसल, राजनाथ सिंह हर हालत में यूपी में लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें बढ़ाना चाहते हैं। इसकी वजह भी है।
उन्हें पता है कि यूपी में सीटों का आंकड़ा अगर किन्हीं कारणों से आगे नहीं बढ़ पाया तो उनके लिए समस्या खड़ी करने वालों की संख्या बढ़ जाएगी।
इसलिए वह सीटें बढ़ाने के लिए कोई कोरकसर नहीं उठा रखना चाहते हैं।
प्रमोद महाजन की मृत्यु के बाद अमित शाह के रूप में भाजपा के पास केंद्र में एक ऐसा चेहरा आया है जो न सिर्फ चुनावी प्रबंधन में कुशल माना जाता है बल्कि गुजरात में चुनाव के दौरान यह करके भी दिखा दिया है।
कार्यकर्ताओं से संवाद और सभाओं के संचालन में भी शाह कुशल कहे जाते हैं। इसलिए राजनाथ की प्राथमिकता में अमित शाह सबसे ऊपर हैं।
एक तीर कई निशाने
अमित शाह को यूपी का प्रभारी बनाकर राजनाथ एक तीर से कई निशाने साध लेना चाहते हैं।
एक तो अमित शाह को यूपी की जिम्मेदारी देकर वह यूपी में मोदी के नाम, काम का ही नहीं बल्कि मोदी की जमकर उपयोग कर सकेंगे।
दूसरे मोदी का करीबी होने के कारण अमित शाह को लेकर यूपी के नेता भी गुटबाजी व खींचतान से बचे रहने की ही कोशिश करेंगे ताकि कहीं उनका नाम मोदी के यहां ब्लैक लिस्ट न हो जाए।
तीसरे चुनाव नतीजे अगर अच्छे आते हैं तो ठीक और अगर किन्हीं कारणों से ऐसा न हो पाया तो राजनाथ के पास अपने बचाव का रास्ता भी रहेगा।
इसलिए नड्डा की दावेदारी
जगत प्रकाश नड्डा सांगठनिक क्षमता वाले नेता माने जाते हैं। उनकी छवि भी निर्विवाद है। अगर शाह का नाम किन्हीं कारणों से तय नहीं हो पाया तो जगत प्रकाश नड्डा को यूपी की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
नड्डा भी कार्यकर्ताओं से निरंतर संवाद व संपर्क रखने वाले माने जाते हैं। उन पर किसी गुट की छाप न होने के कारण उनके रहते यूपी में सभी को मिलकर काम करना होगा।
रही बात प्रभात झा की तो वह मीडिया प्रबंधन के काम के लिए दो चुनाव में यूपी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
हालांकि दोनों ही बार यूपी में काम करने के दौरान उनके नाम के साथ कुछ विवाद भी जुड़े परंतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रमुख पदाधिकारी का करीबी होने के नाते वह भी दौड़ में शामिल हैं।
हालांकि प्रभात झा की दावेदारी शाह व नड्डा के बाद ही है।