दिल्ली में बीएसईएस ने झुग्गी में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला को 90 हजार का बिल भेज दिया.
आम आदमी महंगाई से पहले ही परेशान है. ऐसे हालात में अगर सरकारी दफ्तरों की लापरवाही साबित होती है तो परेशानी कई गुणा बढ़ जाती है. यकीन मानिए आप इस खबर को पढ़कर अपना सिर पकड़ लेंगे.
कितनी बड़ी लापरवाही?
दिल्ली में आम आदमी फ्लैट में नहीं रह पा रहा है तो सोचिए झोपड़ी में रहना कितना मुश्किल होता होगा.
ऐसे ही एक झोपड़ी में मुन्नी देवी रहती है. यह बुजुर्ग महिला चार बाई छह के कमरे में वो अकेले रहती है.
मुन्नी देवी को मासिक 1000 रुपये की पेंशन मिलती है जिसमें वह बड़ी ही मुश्किलों से अपना गुजारा करती है.
उसके छोटे से कमरे में बिजली का पंखा है, एक बल्ब जलता है तो गम भुलाने के लिए एक टीवी भी है.
यह टीवी भी सिर्फ नाम का ही है क्योंकि काफी समय से वो भी खराब पड़ा है.
मुन्नी देवी की माने तो वह जितना बिजली खर्च करती है, उतना ही बिल भी चुकाती है. इस महिने तो मुन्नी देवी के पैरों तले जमीन ही खिसक गई है.
बीएसईएस ने भेजा 90,000 रुपये का बिल
मुन्नी देवी को बिजली विभाग बीएसईएस ने 90,000 रुपये का बिल भेज दिया है. मुन्नी देवी ने आजतक शायद 90,000 रुपये कभी एक साथ देंखे तक नहीं है, तो उनका इस बिल को देखकर परेशान होना लाजमी है.
2007 में मुन्नी देवी के घर पर बिजली का मीटर लगा, 2008 तक मीटर की रीडिंग लेने कोई नहीं आया. फिर 2009 में जब बिल आना चालू हुआ तो उन्होंने अपने पूरे बिल का भुगतान किया.
अब साल 2013 के जनवरी में मुन्नी देवी को 90 हजार रुपये का बिल आ गया है.
इतना ही नहीं, बीएसईएस ने कहा है कि मुन्नी देवी की सुनवाई तब होगी जब वह यह पूरे बिल का भुगतान करेंगी. पास की एक और झुग्गी में भी एक लाख सत्तासी हजार का बिल आया है.
वहीं, बीएसईएस के अधिकारियों से पुछने गए तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा. अगर इसी तरह उनकी लापरवाही चलती रही तो सोचिए आम आदमी का क्या होगा.