उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया पर सीओ जिया उल हक की हत्या की साजिश का केस दर्ज कर लिया गया.
कुंडा के हथिगवां थानाक्षेत्र में शनिवार रात गोली लगने से शहीद सीओ जिया उल हक के मामले में पुलिस ने राजा भइया समेत पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है.
सीओ की पत्नी परवीन आजाद की तहरीर पर एडीजी कानून-व्यवस्था अरुण कुमार की मौजूदगी में मुकदमा दर्ज करने की कार्यवाही हुई. आईजी कानून-व्यवस्था आरके विश्वकर्मा ने इसकी पुष्टि की है. देर रात पुलिस ने आरोपी गुड्डू सिंह और राजीव प्रताप सिंह को गिरफ्तार कर लिया.
उधर, राजा भैया ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताया है. शासन ने प्रतापगढ़ के एसपी एके राय को हटा कर डीजीपी मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया है.
गुड्डू सिंह और राजीव प्रताप सिंह गिरफ्तार
देवरिया के एसपी एल. आर. कुमार को प्रतापगढ़ का एसपी बनाया गया है. सीओ की हत्या के मामले में दर्ज मुकदमे में चार अन्य आरोपितों में कुंडा नगर पंचायत के अध्यक्ष गुलशन यादव, राजा भइया के प्रतिनिध हरिओम शंकर श्रीवास्तव, ड्राइवर गुड्डू सिंह व रोहित सिंह को नामजद किया गया है जबकि राजा भइया को 120 बी का आरोपित बनाया गया है.
पुलिस ने ग्राम प्रधान नन्हें यादव, उनके भाई सुरेश यादव की हत्या के दो मुकदमे दर्ज किये हैं जिनमें गुड्डू सिंह को आरोपित बनाया गया है. करीब ढाई सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ एक अन्य मुकदमा भी पुलिस की ओर से दर्ज कराया गया है.
आईजी कानून-व्यवस्था आरके विश्वकर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि शहीद सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने एडीजी अरुण कुमार को रविवार को तहरीर दी जिसमें कहा गया कि राजा भइया के इशारे पर ही सीओ की हत्या करने की साजिश रची गयी. रविवार सुबह पहला मुकदमा ग्राम प्रधान नन्हें यादव की हत्या के मामले में चार लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक नन्हें यादव की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी कामता पाल, गुड्डू सिंह, अजय पाल व राजीव प्रताप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. रविवार को एसपी प्रतापगढ़ एके राय को हटाते हुए देवरिया के एसपी एल. आर. कुमार को तैनात किया गया, श्री कुमार को शासन ने हैलीकॉप्टर से प्रतापगढ़ भेजा है. घटनास्थल पर मीडिया के लोग भी डेरा डाले हुए है.
जमीनी विवाद में की गोली मारकर हत्या
शनिवार को हथिगवां थाना क्षेत्र के मोहदद्दीनगर ग्राम प्रधान नन्हेलाल यादव की जमीनी विवाद में गोली मारकर हत्याकर दी गयी थी. बाद में सीओ व मृतक प्रधान के छोटे भाई सुरेश कुमार की भी नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी गयी. घटना के बाद गांव में कर्फ्यू जैसा माहौल है. भयभीत महिलाएं ही घरों पर मौजूद हैं तथा किसी अनहोनी की घटना से आशंकित हैं. अधिकांश घरों से बाहर भाग गये हैं. पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया है.
तीनो शवों को अन्त्य परीक्षण के लिए जिला चिकित्सालय भेजा गया था. प्रधान समेत दोनों भाईयों का शव अपराह्न गांव पहुंचते ही पूरे गांव में जोरदार करुण क्रन्दन से भी लोगों की आंखे नम हो गयी. शवों का अंतिम संस्कार बाबा हौदेर नाथ गंगा राज घाट पर भारी जनसमुदाय व कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कर दिया गया. जबकि थानाध्यक्ष मनोज कुमार शुक्ला की तहरीर पर सीओ की हत्या का अभियोग पंजीकृत किया गया है. गांव में दहशत भरी शांति बनी हुई है.
बताया जाता है कि प्रधान नन्हे लाल यादव ने गांव के ही बबलू पाण्डेय, भोले तिवारी व नन्हें सिंह से बलीपुर चौराहे पर 14 लाख रुपये में लगभग 10-12 दुकानें व 2 बीघा जमीन खरीदी थी. जिस पर अपना स्वामित्व गांव का ही कामता पाल भी बता रहा था. दो दिन पूर्व दोनों पक्षों में हल्का विवाद भी हुआ था. इसी का फायदा उठाते हुए प्रधान के राजनीतिक विरोधी हत्या जैसे संगीन अपराध की साजिश रच डाली. शनिवार की शाम लगभग 7 बजे हत्यारे बलीपुर चौराहे पर ग्राम प्रधान की गोली मारकर हत्या करके अंधेरे का लाभ उठाते हुए फरार हो गये.
घटना की जानकारी परिजनों समेत ग्रामीणों को जब हुई तो घटना स्थल की तरफ से दौड़ पड़े. भीड़ ने घटनास्थल से 500 मीटर दूर आरोपी के घर पहुंचकर तोड़फोड़ करते हुए आग लगा दी. इधर मृतक प्रधान के घर में कोहराम मचा हुआ है. इसी दौरान सूचना पर सीओ जियाउलहक प्रभारी निरीक्षक सर्वेश मिश्र, थानाध्यक्ष मनोज शुक्ला मय फोर्स के मृतक के घर पहुंच गये.
पूरा गांव छावनी में तब्दील
इसी दौरान परिजनों से गाली गलौज झड़प होने लगी. जिससे भगदड़ मच गयी. इसी बीच कब और कैसे गोली चली किसी को पता नहीं चला. सीओ जियाउलहक व मृतक प्रधान के भाई घर के पीछे खण्ड़जा मार्ग पर मात्र 15 फिट की दूरी पर खून से लथपथ पड़े थे. दोनों लोगों को गोली भी नजदीक से मारी गयी थी.
यह घटना किसी बडी साजिश का हिस्सा था. पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया है. तीन दिन पूर्व ही नन्हे लाल यादव ने थानाध्यक्ष को तहरीर देकर अपनी हत्या की आशंका जतायी थी तथा सुरक्षा की गुहार भी लगायी थी लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई करने के बजाय बैरंग थाने से वापस कर दिया था. अगर समय रहते आरोपियों पर कार्रवाई हो जाती तो शायद घटना टल सकती थी.