रोम। इटली के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी ने भारत में दो मछुआरों की हत्या के मुकदमे का सामना कर रहे दो नौसैनिकों को वापस भेजने के मुद्दे पर पहली बार सफाई दी है। मोंटी का कहना है कि यदि हम नौसैनिकों को भारत नहीं भेजते तो दिल्ली समेत पूरी दुनिया से हमारे संबंध खराब होते। इटली के अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर अकेले पड़ने का खतरा भी था।
मोंटी ने कहा कि विदेश मंत्री गिलियो तेरजी के इस मुद्दे पर इस्तीफा देने के कई कारण हैं। नौसैनिकों को वापस भेजना ही एकमात्र कारण नहीं। तेरजी के जाने के बाद मोंटी ने विदेश मंत्रालय का प्रभार ले लिया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय को लेकर हमने दुनिया में इटली की इज्जत बचाई है। भारत हमारा पुराना सहयोगी रहा है। आर्थिक और राजनयिक संबंधों को बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी था। तेरजी का इस्तीफा चौंकाने वाला था। उन्होंने हमें इस निर्णय की पूर्व सूचना नहीं दी थी। मोंटी ने कहा कि तेरजी की योजनाएं कुछ और हैं। इनके बारे में भविष्य ही बता सकेगा।
तेरजी ने मंगलवार को यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि उनकी आवाज नहीं सुनी गई। कार्यवाहक सरकार ने मेरे विरोध के बावजूद मैसीमिलैनो लातोरे और सल्वाटोर गिरोन को वापस दिल्ली भेजने का निर्णय लिया। मोंटी ने इन आरोपों के बाद बुधवार को देश की संसद को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपना सिर ऊंचा रख सकेंगे। यदि हम दिल्ली की मांग पर ध्यान नहीं देते तो कई मुद्दों पर हमारे संबंध चिंताजनक स्थिति में पहुंच जाते। उन्होंने कहा कि केवल आर्थिक चिंताओं की वजह से यह फैसला नहीं हुआ। हमने किसी तरह का समझौता नहीं किया है। कुछ मीडिया रिपोर्टो ने इस मुद्दे को सीबीआइ द्वारा 3,600 करोड़ रुपये के वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे की जांच से जोड़ा था।