नई दिल्ली। कोयला आवंटन घोटाले को लेकर सीबीआई ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सीबीआई ने घोटाले की जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपते हुए कहा है कि 2006-09 के बीच कोयला खदान आवंटन में नियमों की अनदेखी की गई।
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कोयला आवंटन में गंभीर खामियों की इशारा करते हुए कहा कि इसके लिए समान नीति नहीं अपनाई गई। कोयला मंत्रालय ने इस सिलसिले में आवेदनों की ठीक तरह से जांच नहीं की। सीबीआई ने कहा कि आवेदन करने वाली कंपनियों के ट्रैक रिकॉर्ड की जांच सही तरीके से नहीं की गई। कुछ कंपनियों ने गलत तथ्यों को पेश कर खदानें हासिल की। जांच एजेंसी ने कहा कि खदान आवंटन के पीछे तार्किक वजह नहीं थी।
जस्टिस आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष अटॉनी जनरल जी ई वाहनवती ने कहा कि इस संबंध में सीबीआइ की रिपोर्ट अंतिम शब्द नहीं हैं।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि वह अपनी जांच सरकार से साझा न करे। शीर्ष अदालत ने इस मामले पर सरकार को तीन हफ्ते के भीतर अतिरिक्त हलफनामा (एडिशनल एफिडेविट) सौंपने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार को इस हलफनामे में यह स्पष्ट करना होगा कि कुछ कंपनियों को कोल ब्लॉक आवंटित करने में कौन सी विशेष नीति अपनाई गई और बाकी कंपनियों को छोड़ दिया गया।
गौरतलब है कि इससे पहले भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यदि कोयला क्षेत्र का आवंटन मनमाने तरीके से न कर प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर किया जाता तो सरकार को 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान नहीं होता।