नई दिल्ली। मुंबई बम धमाकों पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद देश का मोस्ट वांटेड अपराधी एक बार फिर खबरों में है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि इस हमले के पीछे दाऊद ने आईएसआई के साथ मिल कर खतरनाक रोल अदा किया। दाऊद आज भी पाकिस्तान में है और पाकिस्तान से ही डी कंपनी को ऑपरेट कर रहा है। लेकिन हमारी एजेंसियां दाऊद तक पहुंचने में नाकाम हैं। हमारी सरकार दाऊद को देश लाने में पूरी तरह विफल हैं। लोगों को लगता था कि भारत के दबाव में दाऊद ने अपनी गतिविधियां कम कर दी हैं। लेकिन पिछले हफ्ते ही सुरक्षा एजेंसियों ने दुबई से कराची की गई एक फोन कॉल पकड़ी।
दरअसल 12 मार्च 1993, एक के बाद एक 13 बम धमाके और दहल उठी मायानगरी मुंबई। जांच के बाद सो सच सामने आया वो और भी दहलाने वाला था। इन धमाकों के पीछे हाथ था माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम का, दाऊद की डी कंपनी का, जिसने पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई से हाथ मिलाकर मुंबई में इस खौफनाक आतंकी हमले को अंजाम दिया। उसी मुल्क की पीठ में छूरा-उसी देश के साथ गद्दारी जिस देश में दाऊद की पैदाइश हुई। दाऊद इब्राहिम मुंबई का ही नहीं देश का मोस्ट वांटेड अपराधी है। खुफिया एजेंसियों को पक्की खबर है कि दाऊद इब्राहिम पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में छिपा बैठा है। वक्त बे वक्त वो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को भारत के खिलाफ मदद करता है। वहीं से वो अपनी डी कंपनी चलाता है, लेकिन बावजूद इसके हम दाऊद पर शिकंजा नहीं कस पा रहे।
सवाल है कि कब कसेगा डी कंपनी पर शिकंजा, कैसे हाथ आएगा दाऊद। देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी खुफिया एजेंसियों की इस सूचना पर मुहर लगा दी है कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में मौजूद है। पाकिस्तानी खुफया एजेंसी आईएस ने उसे शरण दे रखी है। अमेरिका ने लश्कर और अलकायदा से रिश्तों के नाम पर उसे ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित कर रखा है। बावजूद इसके दाऊद इब्राहिम बेखौफ है। इसका नमूना है बीते हफ्ते ही खुफिया एजेंसियों की पकड़ मे आई एक कॉल। कराची से दुबई के लिए की गई इस कॉल में बात हो रही थी खाड़ी देशों में एक बड़ी लैंडडील की। बात हो रही थी करोड़ों अमेरिकी डॉलर के निवेश की। और कराची से कॉल करने वाले शख्स की आवाज का मिलान जिस आवाज से हो रहा था वो खुफिया एजेंसियों के लिए भी चौंकाने वाला था।
ये आवाज थी शेख दाऊद हसन इब्राहिम कासकर की, जी हां इंडिया का मोस्ट वांटेड दाउद इब्राहिम
भारत सरकार ने शोर मचा मचा कर आसमान सिर पर उठा रखा है और दाऊद है कि पड़ोस में ही बैठा हर रोज नए ख्वाबों की तामीर कर रहा है। अब तो देश की सबसे ब़ड़ी अदालत ने भी कह दिया कि दाऊद पाकिस्तान में है, मगर हमारे नेताओं के पास वही रटा रटाया जवाब है।
दाऊद के बेखबर रहने की एक बड़ी वजह ये भी है कि 20 साल के दौरान उसकी तमाम पहचान लगभग मिट चुकी है। भारतीय एजेंसियों के पास उसका एक अदद फोटोग्राफ तक मौजूद नहीं हैं। जानकार तो यहां तक कहते हैं कि आईएसआई ने बदनामी से बचने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराके दाऊद का चेहरा पूरी तरह बदल दिया है। ये छुपी हुई पहचान ही है कि दाऊद आसानी से अपना कारोबार चला रहा है और कालेधन को सफेद करने के धंधे में लगा है। जानकार तो यहां तक कहते हैं कि भारत में भी तमाम उद्योगपतियों से उसके कारोबारी रिश्ते हैं। इनके कारोबार में तो वो पैसा लगाता ही है नेताओं के चुनाव में भी पैसे बहाता है। वोहरा कमेटी की रिपोर्ट में भी इस बात खुलासा हुआ, मगर उस रिपोर्ट पर कितना अमल हुआ कहना मुश्किल है। माना जाता है कि उद्योगपतियों और राजनेताओं से उसकी साठ-गांठ भी उसे बचाने में मदद करती है।
अब तक दाऊद का ज्यादातर कारोबार काला ही रहा है। वो हवाला के धंधे में रहा है, वो ड्रग्स तस्करी में सक्रिय रहा है। बॉलीवुड सिनेमा की पायरेसी करता रहा है और फिलहाल नकली भारतीय करंसी के कारोबार में डी कंपनी की महारत है। लेकिन कराची और दुबई के बीच पकड़ी गई कॉल डीटेल्स बताती हैं कि दाऊद अब रियल एस्टेट, शिपिंग और केमिकल के धंधे में घुस कर काले पैसे को सफेद करना चाहता है। और इसमें मुंबई-दुबई और कराची से लेकर अमेरिका तक फैला नेटवर्क उसका मददगार है।
दाऊद के करीबी सूत्र बताते हैं कि भले ही उसने मुंबई पर सबसे बड़ा हमला कराया हो, मगर इस मायानगरी को लेकर उसका जुनन बेपनाह है। मुंबई के डोगरी और नागपाड़ा की गलियों में ही लड़ते भिड़ते गोलियां चलाते वो जवान हुआ। इसलिए उसके नेटवर्क का एक सिरा हमेशा मुंबई से जुड़ा रहता है। सूत्रों के मुताबिक दाऊद की बहन हसीना पारकर उसकी धौंस देकर ही बड़े-बड़े विवादों में मांडवाली यानी समझौते कराती है। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि दाऊद ने अपने भाई इकबाल कासकर को प्रत्यर्पण के जरिए अपने नेटवर्क की निगरानी के लिए ही मुंबई भेजा है।
हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा हब भी है मुंबई। बॉलीवुड में भी डी कंपनी की खासी पैठ है। एक दौर में एक्टरों डायरेक्टरों और प्रोड्यूसरों को डराने-धमकाने और हिरोइनों को मनमाफिक रोल दिलाने का काम अबू सलेम के जिम्मे था। बताते हैं कि आज ये काम छोटा शकील के जिम्मे है। डी कंपनी पर बनने वाली हर फिल्म पर दाऊद ओर उसके परिवार की निगाह रहती है। उन्हे ये तक पता रहता है कि दाऊद पर एक फिल्म बन रही है और कब तक बन जाएगी?
कराची से दुबई के लिए की गई कॉल को ट्रैप करने के दौरान खुफिया एजेंसियों ने एक मजेदार बात सुनी। ये बातचीत हो रही थी दाऊद की पत्नी महजबीन और दुबई में बसी उसकी एक बेटी से। दाऊद की पत्नी बेटी को जल्द ही रिलीज होने जा रही फिल्म शूट आउट एट वडाला के बारे में बता रही है। फिल्म की कहानी डी कंपनी के इर्द गिर्द ही घूमती है और फिल्म में दाऊद का भी किरदार है। दरअसल डी कंपनी को लगता है कि ऐसी फिल्मों से भी उनका दबदबा ही बढ़ता है।
जाहिर है जब दाऊद का ऐसा नेटवर्क भारत में ही मौजूद है तो उसे किसी और मुल्क में कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है। वो भी तब जब उसके सिर पर आईएसआई जैसी खुफिया एजेंसी का हाथ हो। बताते हैं कि मुंबई बम धमाकों के कुछ दिन बाद तक भी दाऊद इब्राहिम दुबई में ही मौजूद था। लेकिन जैसे ही धमाकों की गुत्थी सुलझनी शुरू हुई और इस हमले में दाऊद का नाम सामने आया, आईएसआई ने दाऊद और उसके परिवार के नकली पासपोर्ट तैयार कराए। इससे पहले कि भारतीय एजेंसियां खाड़ी देशों की मदद से दाऊद पर हाथ डालतीं। आईएसआई उसे लेकर पाकिस्तान उड़ गई। पाकिस्तान में दाऊद और उसके परिवार को इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर उतारा गया और फिर बगैर किसी इमिग्रेशन चेक के उसे आराम से बाहर निकाल दिया गया।
सबसे पहले आईएसआई ने दाऊद और उसके परिवार को राजधानी इस्लामाबाद में ही शरण दी-इस्लामाबाद के मरगला इलाके में दाऊद को एक शानदार ऐशगाह मुहैया कराई गई। इस्लामाबाद में दाऊद को रखने का मकसद साफ था, राजधानी इस्लामाबाद से सटे रावलपिंडी शहर में ही पाकिस्तानी सेना और ISI का मुख्यालय है। दाउद को ISI अपने साथ जोड़कर भारत के खिलाफ साजिशों में इस्तेमाल करना चाहती थी। लेकिन 2003 में संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ाया तो दाऊद को कराची में शरण दी गई। बताते हैं कि कराची के क्लिफ्टन जैसे इलाके में दाऊद ने अपनी तीन तीन बड़ी इमारतें खड़ी कर रखी हैं।
जानकार सवाल उठाते हैं कि अगर हमारी खुफिया एजेंसियों को खबर है कि दाऊद कराची में है तो मांगने की बजाय उसका सफाया क्यों नहीं कर दिया जाता। कराची जैसे शहर मे जहां टार्गेट किलिंग आम बात हैं ये बहुत कठिन काम तो नहीं। लेकिन इस सवाल का जवाब एक और सवाल में छिपा है, क्या रॉ जैसी एजेंसियों का पाकिस्तान में नेटवर्क अब पहले जैसा रह गया है?
हालांकि कराची में भी दाऊद की मौजूदगी का शोर कुछ ज्यादा हो गया है। लिहाजा आईएसआई ने अब उसे पंजाब के लाहौर शहर में एक महलनुमा घर दिया है। क्रिकेटर जावेद मियां दाद के बेटे से बेटी की शादी के बाद इसे लाहौर में रिश्तेदार भी मिल गए हैं। लेकिन इन सब के बावजूद दाऊद की जिंदगी एक तरह से बिल में छिपे चूहे की तरह ही है। वो बाहर नहीं निकल सकता, शारजाह के दिनों की तो भूल ही जाइए जब वो खुले में बैठ कर क्रिकेट मैच तक देखता था। अब भी वो पाकिस्तान में बैठकर भारत सरकार को मुंह चिढ़ाता है मगर आईएसआई के रहमों करम पर। अगर डी कंपनी का नेटवर्क तोड़ना है तो पहले आईएसआई का नेटवर्क तोड़ना होगा।