तकनीक के आधार पर सचिन तेंदुलकर शायद पूरी दुनिया के अंतिम टेस्ट बल्लेबाज हैं। एक संपूर्ण टेस्ट बल्लेबाज के लिए जो योग्यता होनी चाहिए वो मास्टर ब्लास्टर के अलावा मौजूदा पीढ़ी के किसी भी बल्लेबाज में नहीं दिखती है।
ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले श्रीलंकाई कप्तान रणतुंगा ने यहां तक कह दिया था कि सचिन जब तक हैं तब तक ही टेस्ट क्रिकेट है।
बावजूद इसके टेस्ट क्रिकेट देखा जा रहा है। ये अलग बात है टेस्ट क्रिकेट के मायने बदल गए हैं। भारत ने जिस तरह अपने घरेलू मैदानों पर ऑस्ट्रेलिया को पहले दो टेस्ट में धोया है उसके बाद कम से कम यह खेल भारत में तो लोकप्रियता की रैंकिंग में उपर पहुंच गया है।
सचिन जैसा क्रिकेटर भले ही दुनिया को न मिले लेकिन धोनी, सहवाग, कोहली, पुजारा जैसे क्रिकेटर आते रहेंगे। इस सीरीज में धोनी और पुजारा ने जिस अंदाज में अपना दोहरा शतक पूरा किया वो इस खेल में आ रहे तेजी को दर्शाता है।
धोनी हैं अनमोल रत्न
बात अगर धोनी की करें तो वो मौजूदा समय न केवल भारत के बल्कि दुनिया के बेहतरीन कप्तान हैं। धोनी के पास इस समय चार टीमों की कप्तानी है। धोनी भारत के टेस्ट, वनडे, टी20 और आईपीएल में चेन्नई की कप्तानी करते हैं साथ ही वो इन सभी टीमों के लिए फुल टाइम विकेटकीपिंग भी करते हैं।
दुनिया में ऐसा कोई भी कप्तान नहीं हुआ है जो विकेटकीपर रहते हुए इतने लंबे समय तक टीम का हिस्सा रहा हो। वनडे के विश्व चैंपियन बनने के बाद घरेलू मैदानों और विदेशों में लगातार हार के बाद धोनी का जादू जाता हुआ मान लिया गया था।
अपनी आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए धोनी ने अपने खुद के प्रदर्शन को पहले सुधारा। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज हारने के बाद धोनी ने जिस तरह टीम इंडिया की वापसी कराई है वो काबिले तारीफ रही।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 4 टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले दो मैचों में भारतीय टीम ने जैसा प्रदर्शन किया उसके बाद तो ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम की बोलती बंद हो गई है। अभी इस सीरीज में भारत को दो टेस्ट मैच और खेलने हैं। तीसरा टेस्ट मोहाली में जबकि चौथा और अंतिम टेस्ट दिल्ली में खेला जाएगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया में हुए क्लीन स्वीप का बदला उसी अंदाज में लेगी।