राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को 11 बजे बजट पेश करेंगे. ये उनके इस कार्यकाल का आखिरी बजट होगा.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिनके पास वित्त विभाग भी है, बुधवार को विधानसभा में सुबह 11 बजे साल 2013-2014 का बजट पेश करेंगे.
राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसको देखते हुए प्रदेशवासियों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से राहत की काफी उम्मीद है.
उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री इस बजट में शराब और तंबाकू उत्पादों को छोड़कर नए टैक्स लगाने से बचेंगे.
बाड़मेर में क्रूड ऑयल की रॉयल्टी से राज्य की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ है. इसलिए नई घोषणाओं के साथ टैक्सों में कुछ राहत दी जा सकती है.
इस बजट से कर्मचारी, वकील, व्यापारी, महिलाओं, युवाओं, आदिवासी एवं दलित वर्ग और किसानों को रियायतों की उम्मीद है.
गहलोत अपनी दूसरी पारी का बुधवार को पांचवां बजट पेश करेंगे.
कई योजनाएं अभी भी अधूरी
साल 2012-13 के बजट में स्वास्थ्य से जुड़ी कई योजनाओं की घोषणा की गई थी. अब साल 2013-14 का बजट पेश किए जाने की तैयारी है लेकिन अभी भी कई योजनाएं हैं जो पूरी नहीं की जा सकी हैं.
सूत्रों ने बताया कि पिछले बजट में करीब 200 घोषणाएं की गई थीं जिनमें कई पूरी भी हो चुकी हैं. लेकिन कुछ ऐसी भी हैं जिनको लेकर सरकार दावा कर रही है कि उन पर तेज़ी से काम किया जा रहा है.
एक नज़र उन योजनाओं पर जिनके लिए सरकार दावा कर रही है कि उन पर तेज़ी से काम चल रहा है या अधूरा है:
- 108 एंबुलेंस सेवा की संख्या में 200 वाहनों की बढ़ोतरी करना
- तीन हज़ार उप स्वास्थ्य केंद्रों पर एएनएम की नियुक्ति
- पांच ज़िला मुख्यालयों पर ए श्रेणी यूनानी चिकित्सालयों की स्थापना
- 200 नेत्र सहायकों की भर्ती
- मुख्यमंत्री ने छह वृद्धाश्रम बनाने का वादा किया था जो पूरा नहीं हुआ
- जयपुर और जोधपुर में संवेदनशील स्थानों पर 150 सीसीटीवी लगाए जाने की भी घोषणा हुई थी लेकिन पूरी नहीं हो पाई
- अनुसूचित जाति- और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग-मेडिकल की परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग की सुविधा देने का काम अधूरा है
- नर्मदा से जालोर के लिए 58 करोड़ रुपए की पेयजल योजना का काम अधूरा
- कलेक्ट्रेट परिसरों में नागरिकों के लिए 25-25 लाख की लागत से प्रतीक्षा कक्ष बनाने का काम अधूरा
- राज्य में 3736 करोड़ रुपए की लागत से पेयजल योजना शुरू करने की योजना अधूरी
उद्योग जगत के लोग भी मुख्यमंत्री से ज़्यादा खुश नहीं हैं. उद्योग जगत को उम्मीद थी कि बजट की घोषणा के अनुसार राज्य के सभी ज़िलों में एकल खिड़की योजना लागू की जाएगी. उद्योगपति अब इस बात से निराश हैं कि इस तरह की योजना अभी तक शुरू ही नहीं हो पाई है.