ब्रिटेन के बाद अब जर्मनी ने भी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर नरम रुख दिखाया है। भारत में जर्मनी के राजदूत माइकल स्टेनर ने कहा कि मानवाधिकार मुद्दों और भाजपा नेता की छवि को आपस में नहीं जोड़ा जा सकता है।
स्टेनर ने कहा कि इस सवाल का मानवाधिकार या महिलाओं के अधिकार पर हमारी राय से कोई संबंध नहीं है कि हम मोदी से बात करते हैं या नहीं। अब हम इस बहस को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार गुजरात की सत्ता संभाली है जो उनकी लोकप्रियता का सबूत है। जहां तक गुजरात दंगों में उनकी भूमिका की बात है तो अदालत 10 साल पहले ही इस मामले में उन्हें बरी कर चुकी है।
वार्टन मसले पर मोदी के पक्ष में बोले थरूर
इधर कांग्रेस से अलग रुख अपनाते हुए केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के मुख्य संबोधन को रद्द करने को गलत करार देते हुए कहा कि संस्था का धर्म बनता है कि उन्हें आमंत्रित करने के बाद उन्हें सुनना भी चाहिए था।
इस मामले पर कांग्रेस के अन्य नेताओं के रुख का ध्यान दिए जाने पर थरूर ने कहा कि वह न तो अपनी पार्टी और न ही सरकार की ओर से यह बोल रहे हैं। यह उनकी निजी राय है।
मंत्री ने यह भी कहा कि संस्था ने छह-सात हफ्ते पहले उनको भी मुख्य संबोधन देने के लिए आमंत्रित किया था लेकिन उन्होंने संसदीय प्रतिबद्धताओं के चलते इससे इंकार कर दिया था और वार्टन को सुझाव दिया था कि उसे किसी अन्य को इसके लिए अप्रोच करना चाहिए।