11 ट्रेड यूनियनों की दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आज सुबह से ही व्यापक असर दिखने लगा है। लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में ऑटो न चलने के कारण मेट्रो में भीड़ बढ गई है। दिल्ली एनसीआर में कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने ऑटोवालों से जमकर झड़प की। वहीं अंबाला में तड़के एक ट्रेड यूनियन नेता की हत्या कर दी गई।
दिल्ली और कोलकाता में इस बंद का खासा असर दिख रहा है तो मुंबई में अब तक ये बंद बेअसर दिख रहा है। जबकि महाराष्ट्र में शिव सेना ने बंद का समर्थन किया है। यूपी, बिहार में भी हड़ताल का असर है। यूपी में रोडवेज बसें नहीं चल रही हैं। भुवनेश्वर में हड़ताल में शामिल लोगों ने ट्रेनें रोक दी हैं।
गुजरात में 8500 सरकारी बसें रोक दी गईं है तथा ट्रांसपोर्ट सेवा ठप है। भोपाल में बैंक, डाकघर, बीमा दफ्तर सब बंद हैं।� केरल में हड़ताल से सामान्य जनजीवन अस्त व्यस्त है। बस और टैक्सी नदारद है और दुकानें तथा रेस्तरां बंद हैं।
हरियाणा में हड़ताल के दौरान हिंसा का मामला सामने आया है। अंबाला में ट्रेड यूनियन नेता नरेंद्र सिंह की बुधवार सुबह चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई। नरेंद्र सिंह ट्रेड यूनियन एआईटीयूसी के कोषाध्यक्ष थे। एआईटीयूसी के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने बताया कि अंबाला बस स्टैंड के पास कुछ असामाजिक तत्वों ने नरेंद्र की हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि हत्या करने वाले हड़ताल के बावजूद बस डिपो से बस ले जाना चाहते थे। दासगुप्ता ने कहा कि इस नृशंस हत्या के बावजूद हड़ताल जारी रहेगी।
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इस हड़ताल से कई राज्यों में परिवहन और बैंकिंग सेवाएं ठप हैं। इस हड़ताल से अर्थव्यवस्था को करीब 20 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का बड़ा झटका लगने की आशंका है जबकि बैंकों में 80 लाख चेकों के अटकने से करीब 50 हजार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन प्रभावित हो सकता है।
क्या हैं मांगें
ट्रेड यूनियनों ने दस मांगें सरकार के समक्ष रखीं हैं, जिनमें से ज्यादातर मांगें महंगाई रोकने, रोजगार पैदा करने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश की प्रक्रिया रोकने, श्रम कानूनों के अमल से संबंधित हैं।
1-महंगाई के लिए जिम्मेदार सरकार की नीतियां बदली जाएं।
2-महंगाई को देखते हुए न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई जाए।
3-सरकारी संगठनों में अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाए।
4-आउटसोर्सिंग की जगह स्थायी आधार पर कर्मचारियों की भर्ती हो।
5-सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी निजी कंपनियों को न बेची जाए।
6-बैंकों के विलय की नीति न लागू की जाए।
7-केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी हर 5 साल में वेतन में संशोधन हो।
8-नई पेंशन स्कीम बंद करके पुरानी लागू की जाए।
9-श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी बदलाव की कोशिश न की जाए।