वित्त मंत्री पी. चिदंबरम अब से कुछ ही देर में यूपीए-2 सरकार का अंतिम बजट पेश करेंगे। वित्त मंत्री के सामने जहां संकट में फंसी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए रास्ता तैयार करने का जिम्मा है, वहीं 2014 के आम चुनाव के पहले कांग्रेस को राजनीतिक फायदा पहुंचाने की जमीन भी इस बजट में तैयार करनी है। हालांकि, वह लगातार कहते रहे हैं कि बजट लोकलुभावन नहीं होगा।
बुधवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में मिले संकेतों से भी साफ है कि चिदंबरम सब्सिडी के मोर्चे पर कुछ कड़े कदम उठाएंगे और राजकोषीय घाटे को चालू साल के संभावित स्तर 5.3 फीसदी के मुकाबले अगले साल के लिए 4.8 फीसदी पर लाने की कोशिश करते दिखेंगे। निश्चित रूप से वित्त मंत्री के पास सीमित विकल्प हैं, लेकिन उनसे उम्मीदे काफी हैं। आइए जानते हैं कि उनसे 10 बड़ी उम्मीदें क्या-क्या हैं…
1. इनकम टैक्स में राहत
पिछले कुछ सालों में जिस तरह से महंगाई बढ़ी है, उस हिसाब से टैक्स फ्री इनकम का स्लैब नहीं बढ़ा है। फिलहाल टैक्स फ्री इनकम की सीमा दो लाख रुपये है। वेतनभोगियों को उम्मीद है कि इसमें 10-20 हजार रुपये के बजाय सरकार कोई ठोस बढ़ोतरी करेगी। संभावना जताई जा रही है कि टैक्स फ्री इनकम की लिमिट 2,30,000 रुपये की जा सकती है। इससे लोगों के पास खर्च के लिए ज्यादा रकम होगी।
2. सेक्शन 80सी की लिमिट
सरकार सेविंग और इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए कुछ चुनिंदा तरीकों पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत अधिकतम एक लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट देती है। इसकी सीमा को बढ़ाना चाहिए ताकि बचत को और प्रोत्साहन मिल सके।
3. होम लोन का ब्याज
मकान के दाम कहां से कहां पहुंच गए और होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर इनकम टैक्स छूट की सीमा पिछले कई वर्षों से डेढ़ लाख रुपये ही है। ऊंची ब्याज दरों और महंगे मकान की वजह से डेढ़ लाख की छूट नाकाफी मानी जा रही है। रीयल्टी इंडस्ट्री और लोन लेकर मकान खरीदने वालों की हसरत है कि 3 लाख रुपये की टैक्स छूट ब्याज के भुगतान पर और दो लाख रुपये की छूट लोन के प्रिंसिपल के पेमेंट पर होनी चाहिए।
अभी होम लोन के प्रिंसिपल के एक लाख रुपये तक के भुगतान को सेक्शन 80 सी के तहत ही टैक्स छूट मिलती है। यह एक बहुत व्यापक सेक्शन है, जिसके तहत कई सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स हैं, लिहाजा मांग है कि होम लोन प्रिंसिपल पेमेंट के लिए अलग से प्रावधान किया जाना चाहिए।
4. बड़ी गाड़ियों पर टैक्स रियायत
ऑटो इंडस्ट्री ने सरकार से बड़ी गाड़ियों पर एक्साइज ड्यूटी घटाने और 15,000 रुपये के अडिशनल टैक्स को हटाने की मांग की है। इस समय बड़ी गाड़ियों पर 22% एक्साइज ड्यूटी है, जबकि छोटी कारों पर 10% ड्यूटी ही लगती है। चार मीटर से लंबी और पेट्रोल में 1200 सीसी व डीजल में 1500 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाली गाड़ियों पर 15 हजार का अडिशनल टैक्स लगता है।
5. खर्च घटाएंगे
सर्वे में इस बात पर जोर है कि भारत को अपने राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे से निपटना चाहिए। बजट घाटे को 2015 तक जीडीपी के 3 पर्सेंट तक लाना है। फिलहाल यह 5 पर्सेंट से ऊपर है। इसकी वजह से सरकारी कर्ज बढ़ रहा है, इन्वेस्टमेंट घटा है और महंगाई काबू में नहीं आ रही है। बजट घाटा देश में स्लोडाउन की सबसे बड़ी वजह है। अगर ऐसा ही हाल रहा तो भारत की क्रेडिट रेटिंग चौपट हो जाएगी।
6. धन जुटाएंगे
इलाज यही है कि खर्च घटे, सब्सिडी कम हो और आमदनी बढ़े। यह आसान नहीं है, क्योंकि सरकार फूड गारंटी पर भारी खर्च करने पर आमादा है। फाइनैंशल इयर 2013-14 में सरकार पर सब्सिडी के मौजूदा बोझ 2 लाख 60 हजार करोड़ में से 40 से 50 हजार करोड़ तक की कटौती करने का दबाव है। सरकार अगले फाइनैंशल इयर में सरकारी कंपनियों के शेयर बेचकर 40 हजार करोड़ रुपये जुटाएगी।
7. जीएसटी पर रुख साफ करेंगे
गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लेकर सरकार और चिदंबरम पर काफी दबाव है। चिदंबरम बजट में जीएसटी को लेकर सरकार का रुख रख सकते हैं। मार्केट और आम आदमी को जीएसटी का बेसब्री से इंतजार है। जीएसटी लागू होने से सभी राज्यों में एकसमान टैक्स दर का भुगतान करना होगा व जरूरत की चीजों की कीमतें कम होंगी। साथ ही एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुएं लाने और ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा कोई अतिरिक्त टैक्स भी देना नहीं होगा।
इसके अलावा अगर किसी राज्य में किसी चीज की कमी है, तो उस चीज को उस राज्य में ले जाने में कोई परेशानी नहीं होगी। इससे वस्तुओं की सप्लाई बढ़ने या बढ़ाने में भी कोई परेशानी नहीं होगी। ऐसे में महंगाई पर कुछ हद तक लगाम लग सकेगा और आम आदमी को सरकार यह संदेश दे सकेगी कि उसने मार्केट के साथ उन्हें राहत पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया है।
टैक्स की दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होने से कंपनियों का लागत मूल्य बढ़ रहा है। अगर जीएसटी लागू हो गया, तो कंपनियों पर टैक्स का भार काफी कम होगा। उनका लागत मूल्य घटेगा, इससे कीमतों को तर्कसंगत स्तर पर लाने में कामयाबी मिलेगी।
8. ज्यादा लोग टैक्स के दायरे में
जीडीपी और टैक्स का अनुपात साल 2007-08 में 11.9 पर्सेंट के शिखर पर था। इसे फिर पुराने स्तर पर ले जाना चाहिए। इकनॉमिक सर्वे में भी कहा गया है कि ऐसा करने के लिए टैक्स की दरें बढ़ाने के बजाय ज्यादा लोगों को टैक्स के दायरे में लाना बेहतर होगा।
9. बाजार को तोहफा
स्टॉक मार्केट और चिदंबरम के बीच खास रिश्ता रहा है और उनको बाजार का चहेता माना जाता है, इसलिए बाजार को उठाने का कदम इस बजट में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में लाने की संभावना दिखेगी। एसटीटी हटाने या घटाने की उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर की परिभाषा को व्यापक बनाकर इसमें अफोर्डेबल हाउज़िंग बनाने वाली रीयल्टी कंपनियों को भी शामिल किए जाने की संभावना है।
10. खेती और गांवों के लिए
कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को महत्व देने की कोशिश में खाद्य सुरक्षा कानून के लिए प्रावधान करने के साथ ही कृषि सुधारों के लिए चिदंबरम के पिटारे से कुछ न कुछ निकलना लगभग तय है।