वामदलों की बड़ी बहन कही जाने वाली माकपा के महासचिव प्रकाश करात भी अब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की तरह रथ यात्री बनने जा रहे हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुकी माकपा को जनता के बीच जाने के लिए भाजपा की राह पकड़नी पड़ रही है। ‘संघर्ष संदेश यात्रा’ के नाम से देश के विभिन्न क्षेत्रों से निकलने वाली ये चार यात्राएं 16 मार्च तक दिल्ली पहुंचेंगी।
माकपा महासचिव प्रकाश करात ने भले ही दावा किया है कि ये यात्राएं आम लोगों से जुड़ी भूमि, आवास, खाद्य, महिला सुरक्षा, रोजगार, शिक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्रित होंगी, लेकिन पार्टी का मुख्य उद्देश्य जनता के बीच जाकर लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस व भाजपा के मुकाबले लेफ्ट को तीसरे विकल्प के अगुवा के तौर पर पेश करना है। साथ ही समर्पित कार्यकर्ताओं की कमी से जूझ रही पार्टी इन यात्राओं के माध्यम से युवा वर्ग को भी लुभाना चाहती है।
सूत्रों के अनुसार माकपा के पास अब समर्पित कार्यकर्ताओं का टोटा है। खुद माकपा की राज्य कमेटियां यह सच्चाई स्वीकार कर चुकी हैं। इसलिए पश्चिम बंगाल, केरल व त्रिपुरा तक सिमटी पार्टी ने अब भाजपा की राह पर चलते हुए लगभग पूरे देश में आम लोगों तक सीधा संवाद करने के लिए रथ यात्राएं निकालने का फैसला किया है।
इसके लिए वाहनों को विशेष रूप दिया गया है। वैसे माकपा इन वाहनों को रथ कह जाने से बच रही है। प्रत्येक रथ में कम से कम 10 लोगों के बैठने का इंतजाम होगा। यात्रा के दौरान भाषण देने के लिए मंच भी बने रहेंगे। इसके लिए चार प्रमुख यात्राएं निकलकर अंत में दिल्ली पहुंचेगी।
पार्टी महासचिव प्रकाश करात एक मार्च से कोलकाता से रथ पर सवार होंगे। वैसे पहली रथयात्रा शनिवार को कन्याकुमारी से पोलित ब्यूरो सदस्य रामचद्र पिल्लई के नेतृत्व में शुरू हो रही है। सीताराम येचुरी 8 मार्च को रथ पर मुंबई से दिल्ली के लिए रवाना होंगे, जबकि वृंदा करात चार मार्च को अमृतसर के जलियांवाला बाग से चलेंगी।
इससे पहले गुवाहाटी से कोलकाता, ओडिशा से कोलकाता, शिमला से चंडीगढ़ तथा भावनगर से इंदौर तक सहायक रथ यात्राएं निकलेंगी। इसके बाद 19 मार्च को माकपा दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली करके चुनावी बिगुल बजा देगी। यात्रा के दौरान लगभग 10 हजार किमी. यात्रा होगी और पोलित ब्यूरो व केंद्रीय कमेटी के सभी सदस्य इन यात्राओं में मौजूद रहेंगे।