दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने आम आदमी को नसीहत देते हुए कहा कि अगर आप बढ़े हुए शुल्कों को वहन नहीं कर सकते तो बिजली का कम इस्तेमाल करें.
बिजली के शुल्क में वृद्धि के लिए निशाने पर आईं दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने शुल्क में वृद्धि को उचित ठहराते हुए रविवार को कहा कि अगर लोग चौबीस घंटे बिजली की आपूर्ति चाहते हैं तो उन्हें भुगतान करना होगा.
दीक्षित ने कहा कि अगर लोगों को बिल का भुगतान करना मुश्किल लग रहा हैं तो उन्हें विभिन्न इलेक्ट्रिकल उपकरणों पर बिजली के उपभोग में कटौती करनी चाहिए.
दीक्षित ने दक्षिण दिल्ली के छतरपुर इलाके में एक बैठक में कहा, ‘‘अगर आप बिजली बिल वहन नहीं कर सकते तो बिजली के उपभोग में कटौती करें. भावी पीढ़ियां इस बात को कभी महसूस नहीं करेंगी जब दिल्ली में सात से आठ घंटे बिजली की कटौती हुआ करती थी’’
कूलर की बजाय करे पंखे का इस्तेमाल
बिजली के शुल्क में वृद्धि को उचित ठहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली के उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण बिजली के शुल्क में वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई बिजली बिल का भुगतान करना मुश्किल पा रहा है तो वह कूलर की बजाय पंखे का इस्तेमाल कर सकता है. कोई भी बिल को सीमित करने के लिए हमेशा बिजली के उपभोग में कटौती कर सकता है.’’
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष विजय गोयल ने मुख्यमंत्री पर बिजली कंपनियों पर कृपादृष्टि करने और इन बिजली वितरण कंपनियों में कथित भ्रष्टाचार की अनदेखी करने का आरोप लगाया.
‘मुख्यमंत्री ने दिया दुर्भाग्यपूर्ण बयान’
दीक्षित के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘‘यह दिल्ली की मुख्यमंत्री का दुर्भाग्यपूर्ण बयान है. दिल्ली में बिजली की कीमतें उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण नहीं बढ़ रही हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘कैसे आप लोगों से अपेक्षा कर सकते हैं कि वे टीवी, रेफ्रीजरेटर, वाशिंग मशीन का इस्तेमाल बंद करें जो आज आवश्यक हो गया है. बिजली की कीमतें सिर्फ मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बिजली कंपनियों के साथ साठगांठ करके भ्रष्टाचार करने के कारण बढ़ रही हैं’’
उन्होंने कहा कि अगर भ्रष्टाचार रुक गया तो बिजली का शुल्क कम से कम आधा हो जाएगा.
दिल्ली में साल 2011 में बिजली के शुल्क में 22 फीसदी और पिछले साल जुलाई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए शुल्क में 26 फीसदी तक बढ़ोतरी की गई थी.