रेल बजट पर निगाहें भले टिकी हों मगर उसमें आमदनी बढ़ाने के किसी चमत्कारी उपाय की घोषणा के आसार नहीं लगते.
इसकी वजह केंद्र सरकार का पहले से ही सुरसा के मुंह की तरह फैला राजकोषीय घाटा है. अलबत्ता रेलवे सुरक्षा, आधुनिकीकरण और कुछ अन्य सेवाओं के निजीकरण की घोषणा रेल मंत्री पवन कुमार बंसल कर सकते हैं. रेलवे में सुधार के लिए मोटी रकम की जरूरत है. यदि यह जरूरत केंद्रीय बजट से पूरी नहीं हुई तो रेलवे को फिर से धीमी गति से गाड़ी खींचनी होगी.
अलबत्ता अतिरिक्त धन का जुगाड़ रेलवे कुछ अन्य सेवाओं का निजीकरण करके कर सकता है. इसकी उम्मीद इसलिए जगी है कि यह मंत्रालय कई साल बाद गठबंधन की धुरी वाले दल यानी कांग्रेस के पास आया है. उससे पहले रेलवे करीब 11 साल सत्तारूढ़ गठबंधन राजग और संप्रग के घटक दलों और उनके नेताओं के हाथ में रहा है. इनमें प्रमुख हैं रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और ममता बनर्जी. इसीलिए करीब दस साल बाद हाल में बजट से दो महीने पहले रेल यात्री किराया बढ़ा है.
डीजल की कीमत बढ़ने से रेलवे की कमाई का अधिकांश हिस्सा परिचालन खर्च में निकल जा रहा है. ऊपर से रेलकर्मियों का वेतन और पेंशन का खर्च है. ऐसे में रेलवे के विकास के लिए धन कहां से आएगा, क्योंकि जब तक रेलवे की आमदनी बढ़ती नहीं है तब तक निवेशकों को मुनाफा कहां से मिलेगा. फिलहाल रेलवे को कुछ और सेवाओं..पूंजी जुटाने की जरूरत है. इस मामले में रेल मंत्री पवन कुमार बंसल को भरोसा है कि केंद्रीय बजटीय सहायता के रूप में रेलवे को ठीक-ठाक धन मिलेगा. समझा जा रहा है कि रेलवे को इस बार बजटीय सहायता के रूप में 26,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है.
रेल बजट 2012-13 में केंद्रीय सकल बजटीय सहायता के रूप में रेलवे की झोली में 24,000 करोड़ रुपए आए थे जबकि रेलवे ने 60,100 करोड़ रुपए की वाषिर्क योजना पेश की थी. केंद्रीय बजटीय सहायता के अलावा रेल मंत्रालय ने डीजल उप कर से 2000 करोड़ रुपए, आंतरिक संसाधनों से 18,050 करोड़ रुपए जुटाकर रेल की गाड़ी चलानी थी. इसके अतिरिक्त 15,000 करोड़ रुपए बाजार ऋण से और 1,050 करोड़ रुपए पीपीपी से जुटाए जाने थे. लक्ष्य के मुताबिक नई लाइनों के लिए 6,872 करोड़ रुपए, दोहरीकरण के लिए 3393 करोड़ रुपए, आमान परिवर्तन के लिए 1,950 करोड़ रुपए और 828 करोड़ रुपए मुहैया कराने की घोषणा रेल बजट 2012-13 में की गई.
रेलवे ने अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए रेल बजट 2012-13 में अनुमान लगाया था कि चालू वित्तीय वर्ष में 1,025 मिलियन टन का माल लदान किया जाएगा, जो वर्ष 2011-12 से 55 मिलियन टन अधिक होगा. इसी तरह से यात्रियों में वृद्धि 5.4 फीसद होने का अनुमान था. कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष में सकल यातायात प्राप्तियां 1,32,552 करोड़ रुपए रहने का आकलन किया गया है जो कि वर्ष 2011-12 के संशोधित अनुमान की तुलना में 27.6 फीसद अधिक है.
इसी आधार पर यह अनुमान लगाया गया था कि वर्ष 2011-12 में रेलवे का परिचालन अनुपात जो 95 फीसद पर पहुंच गया था वह चालू वित्त वर्ष में 84.9 फीसद पर आ जाएगा. अभी तक रेलवे की आर्थिक तस्वीर यह है कि चालू वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल 2012 से लेकर 31 जनवरी 2013 के शुरुआती नौ महीने की अवधि में कुल आय 1,01,223.95 करोड़ रुपए हुई है जबकि पिछले वित्तीय वर्ष एक अप्रैल 2011 से 31 जनवरी, 2012 तक की अवधि में कुल कमाई 84,083.74 करोड़ रुपए की थी. गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष के शुरुआती नौ महीने में भारतीय रेलवे ने अपनी आय में 20.38 फीसद का इजाफा किया है.
पिछले दिनों रेल मंत्री पवन कुमार बंसल प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री से भी रेलवे को अधिक सहायता दिये जाने का आग्रह कर चुके हैं. बताया जा रहा है कि रेलवे की ओर से 38,000 करोड़ रुपए केंद्रीय बजटीय सहायता के रूप में मांग रखी गई है. लेकिन सवाल यह है कि मौजूदा आर्थिक हालात में वित्त मंत्रालय द्वारा रेलवे को इतनी बड़ी धनराशि केंद्रीय बजटीय सहायता के रूप दी कहां से जाएगी.