main newsभारतमहाकुंभ २०१३

माघी पूर्णिमा आज, डुबकी से पूरा होगा कल्पवास

माघी पूर्णिमा पर सोमवार को डुबकी के साथ महीने भर से चल रहा कल्पवास पूरा हो जाएगा। इसी के साथ माह भर के जप, तप, यम, नियम, संयम का संकल्प भी पूरा होगा। कल्पवासी संगम सहित गंगा और यमुना के विभिन्न घाटों पर डुबकी लगाने के बाद शिविरों में पूजा-अर्चना करेंगे और घर को रवाना होंगे।

बड़ी संख्या में कल्पवासियों ने रविवार को कल्पवास का भंडारा किया। माघी पूर्णिमा पर डुबकी के साथ ही ऐसे कल्पवासी भी संगम की रेती से विदा होंगे जिन्होंने संक्रांति से संक्रांति का कल्पवास किया लेकिन माघी पूर्णिमा पर स्नान के लिए अब तक रुके रहे।

तीर्थपुरोहित अजय कुमार पांडेय के मुताबिक, कल्पवास की शुरुआत पर जो तुलसी का पौधा रोपा गया था, ज्यादातर श्रद्धालु उसे साथ ले जाएंगे। इसी तरह पूजन के बाद जौ के पौधे भी शिविर में ही विसर्जित कर दिए जाएंगे।

अपने तीर्थ पुरोहित को यथाशक्ति दान-दक्षिणा देने, ठाकुर जी को भेंट चढ़ाने और उनका आशीष लेने के बाद संगम की रेती से विदा हो जाएंगे। संगम की रेती पर कल्पवास के बाद घर वापसी पर परंपरानुसार कल्पवासी फिर कथा सुनेंगे। इसके बाद ही कल्पवास के संकल्प को पूर्णता मिलेगी।

पूरे दिन होगा स्नान
माघ की पूर्णिमा तिथि रविवार रात 1.40 बजे से शुरू हो रही है। सोमवार को रात 2.01 बजे तक पूर्णिमा की तिथि रहेगी इस कारण पूरे दिन स्नान किया जा सकेगा। ज्योतिर्विदों के मुताबिक कुंभ राशि में चार ग्रहों का संयोग, मघा नक्षत्र तथा अतिगंड योग स्नान का अच्छा फल देगा। सोमवार को दिन में 1.41 बजे तक भद्रा रहेगी लेकिन स्नान के लिए इसका कोई प्रभाव नहीं माना जाता। दोपहर के बाद घर वापसी के वक्त भद्रा का प्रभाव खत्म हो जाएगा।

बारिश का झमेला फिर भी मेले में उमड़ा रेला

बारिश और आसमान में जमे बादलों के बाद भी माघी पूर्णिमा स्नान के लिए महाकुंभ में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। बारिश के कारण पटरी से उतरी व्यवस्था को दुरुस्त करने में मेला प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है। सोमवार को बारिश हुई तो व्यवस्था पर पानी फिर सकता है।

सुरक्षा के मद्देनजर मेला, शहर और रेलवे के अधिकारी परस्पर संपर्क बनाए रहेंगे। हैदराबाद में हुए ब्लास्ट के बाद विशेष सतर्कता बरती जा रही है। मेलाधिकारी मणि प्रसाद मिश्र के मुताबिक सोमवार को 50 से 60 लाख श्रद्धालु आ सकते हैं। मेला प्रशासन ने नए सिरे से 22 स्नानघाट तैयार कर लिए हैं। बारिश के कारण घाटों की लंबाई वसंत पंचमी के मुकाबले दो हजार फीट कम की गई है।

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