ओपी वशिष्ठ, रोहतक
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के बैडमिंटन खिलाड़ी देश की भावी स्टार जोड़ी बनने के रास्ते पर अग्रसर हैं। युवा नीरज वशिष्ठ और सुरेंद्र राठी की जोड़ी का नेशनल में इस समय छठा रैंक है। देश में टॉप रैंक हासिल करने का लक्ष्य है और इसलिए खेल की बारीकियां सीखने के लिए शनिवार को मलेशिया के लिए रवाना होंगे। मलेशिया रवाना होने से पहले उन्होंने मदवि खेल कांप्लेक्स में दैनिक जागरण से विशेष बातचीत की।
नीरज और सुरेंद्र ने बताया कि बचपन से ही बैडमिंटन में रूचि थी। यहीं कारण है कि उन्होंने बैडमिंटन में ही किस्मत आजमाने का निर्णय लिया। कुछ हद तक इसमें सफलता भी मिली है। उनके द्वारा की गई मेहनत का फल हाल ही में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में टीम इवेंट में दूसरे स्थान से मिलने लगा है। नीरज सोनीपत के सीआरए कॉलेज में बीए द्वितीय वर्ष का छात्र है जबकि सुरेंद्र पंडित नेकीराम शर्मा कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष में पढ़ता है। दोनों खिलाड़ियों का आपसी तालमेल गजब है, जिसके कारण सामने वाले खिलाड़ी उनके सामने टिक नहीं पाते। उन्होंने कहा कि उनका मुख्य लक्ष्य कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल हासिल करना है। इससे पहले पूरा ध्यान वियतनाम में होने वाले इंटरनेशनल बैडमिंटन टूर्नामेंट को बेहतर प्रदर्शन करना होगा। वियतनाम में यह टूर्नामेंट 26 से 31 मार्च तक होगा। जिसमें विश्व के टॉप बैडमिंटन खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। इससे पहले सैयद मोदी इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भी प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। नीरज का कहना है कि कोच प्रदीप पालीवाल के सानिध्य में बैडमिंटन की बारीकियां सीख रहा है। वहीं, सुरेंद्र का कहना है कि बैडमिंटन का रैकेट थमाने का श्रेय कोच विजय कुमार को जाता है। मलेशिया रवाना होने से पहले वे मदवि खेल निदेशक डॉ. देवेंद्र ढुल, कोच व प्रशिक्षकों का आशीर्वाद लेने के लिए आएं थे।
उत्तर भारत में प्रोत्साहन की जरूरत
नीरज और सुरेंद्र का कहना है कि बैडमिंटन को उत्तर भारत में प्रोत्साहन नहीं मिल रहा, जितना दक्षिण में दिया जाता है। उत्तर भारत में बेहतर अकादमी स्थापित करने की जरूरत है ताकि युवाओं को बैडमिंटन स्तर पर प्रतिभा निखाने का अवसर मिलें। प्रदेश में एक भी अकादमी नहीं है, ताकि कारण बैडमिंटन में किस्मत आजमाने वाले युवा प्रशिक्षण से वंचित रह जाते हैं। हालांकि प्रदेश सरकार खेलों को काफी बढ़ावा दे रही है।