नई दिल्ली। मजदूर संगठनों की ओर से बुधवार से बुलाई गई देशव्यापी दो दिवसीय हड़ताल का असर दिल्ली समेत देश के कई बड़े शहरों में आज सुबह से ही दिखने लगा है। कहीं सड़कों से वाहन बिल्कुल नदारद हैं तो कहीं हड़ताल का मिलाजुला असर है। लेकिन हड़ताल की वजह से 50 लाख लोगों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं देश की अर्थव्यवस्था को भी 2.5 करोड़ लोगों की इस हड़ताल से 20 हजार करोड़ का नुकसान होगा।
-दिल्ली
अगर हम बात करें देश की राजधानी दिल्ली की तो यहां हड़ताल का व्यापक असर दिखाई दे रहा है। भले ही दिल्ली सरकार ने अपने खास इंतजाम किए हैं लेकिन सभी इंतजाम अब तक बेअसर नजर आ रहे हैं। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लाखों की तादाद में लोग खड़े हैं। दिल्ली के कुछ इलाकें ऐसे हैं जहां रोड पर टैक्सी और ऑटो बिल्कुल नदारद हैं। अगर कोई जबरन ऑटो में चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें जबरन उतार दिया जाता है। हालांकि एयरपोर्ट टैक्सी पर इसका ज्यादा असर नहीं हुआ है। सुबह- सुबह दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ऑटो रिक्सा वालों ने जबरदस्त हंगामा किया और परिवहन की आवाजाही पर रोक लगा दी।
-हरियाणा
हरियाणा में एक व्यक्ति हड़ताल की भेट चढ़ गया। हरियाणा में हड़ताल का बुरा असर देखने को मिला। हरियाणा के अंबाला सिटी के रोडवेज डिपो पर हड़ताल कर्मी सुबह से ही जम कर खड़े हो गए। तभी कुछ कर्मी बसों को लेकर डिपो से बाहर निकलने लगे। जिस पर हड़ताल कर्मियों का उनसे विवाद हो गया। उसी दौरान ड्राइवर नरेंद्र बस की चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
-कोलकाता
हड़ताल की सुबह से ही कोलकाता की सड़कें भी बिल्कुल खाली हैं। कोलकाता की सड़कों में ट्रेफिक नहीं है। हावड़ा -सियालदह रेलवे स्टेशनों पर लोग लंबी कतार में खड़े हैं और बस, टैक्सी का इंतजार कर रहे हैं।
-भोपाल
वहीं भोपाल में 400 से अधिक बैंक बंद हैं और वाहनों की आवाजाही पर रोक लगी है।
-लखनऊ
लखनऊ की ट्रांसपोर्ट सर्विस पर भी हड़ताल का व्यापक असर हुआ है।
-अहमदाबाद
अहमदाबाद में 9 हजार बैंक बंद हैं।
-पटना
पटना में दो दिनों तक सभी स्कूल बंद रहेंगे। इसके अलावा वाहनों की कमी की वजह से लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। पटना में जबरन सड़कों पर ऑटो रोके जा रहे हैं। जहानाबाद में रेलवे ट्रेक जाम कर दिए गए हैं।
-राजस्थान
राजस्थान रोड वे की 4440 बसें बंद कर दी गई है और जयपुर में वाहनों की कमी के चलते यात्री परेशान हैं।
-चेन्नई में बंद का मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है।
-बैंगलरू में हड़ताल का कुछ खास असर नहीं हुआ है
-महाराष्ट्र, मुंबई की रफ्तार वैसे ही चल रही है। यहां हड़ताल का खास असर नहीं है।
बताया जा रहा है कि डीटीसी के कुछ कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो सकते हैं। बैंकों सहित सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों पर भी असर होने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि दिल्ली सरकार ने डीटीसी कर्मचारियों की छुंट्टी भी रद्द कर दी है और डीटीसी की अतिरिक्त बस चलाने की तैयारी की है। दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की करीब 5500 बसें बुधवार को राजधानी की सड़कों पर उतारी जाएंगी। मेट्रो भी उपलब्ध रहेगी।
इसके बावजूद आम लोगों को चेतावनी दी गई है कि अगर वह बैंक के काम से बाहर निकलना चाहते हैं तो जरा सावधानी बरतें कहीं फंस न जाएं। उन्हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में खासा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कोलकाता, दिल्ली, मुबई, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में हड़ताल का व्यापक असर दिख रहा है।
दिल्ली के परिवहन मंत्री रमाकांत गोस्वामी ने हड़ताल को समर्थन देने वाले ठेके के डीटीसी कंडक्टरों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्हें अपना भविष्य खुद तय करना है। सरकार के वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि हड़ताल की वजह से आम लोगों को परेशानी नहीं आने दी जाएगी और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को बंद नहीं होने दिया जाएगा। बुधवार व बृहस्पतिवार को निजी वाहनों का इस्तेमाल करने या कार पूल का सहारा ले सकते हैं। दूसरी ओर, भारतीय प्राइवेट ट्रांसपोर्ट मजदूर महासंघ के अध्यक्ष राजेंद्र सोनी व दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष यशपाल ने कहा कि दिल्ली के सभी ऑटो रिक्शा, टैक्सी, आरटीवी और ग्रामीण सेवा पूरी तरह बंद रहेंगी। वहीं, मेट्रो सूत्रों का कहना है कि हड़ताल की वजह से मेट्रो सेवा पर कोई असर नहीं पड़ेगा और जरूरत पड़ने पर मेट्रो सेवाएं बढ़ाई जा सकती हैं।
ज्ञात हो कि देशभर की 11 से अधिक मजदूर यूनियनों ने मिलकर महंगाई, विनिवेश नीति व श्रम कानूनों का पालन नहीं किए जाने के खिलाफ दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है। एक तरह से देखा जाए तो मजदूर संगठनों की यह मांगे बिल्कुल जायज हैं लेकिन सरकार इनपर कितना अमल करती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन इस हड़ताल से उन लोगों पर ज्यादा असर होगा जो रोज दो वक्त की दाल रोटी खाकर अपना गुजारा करते हैं। उनके पेट पर लात पड़ेगी। हालांकि इस हड़ताल से ऐसे कई क्षेत्र हैं जो नदारद रहेंगे। स्कूल बसों को इस हड़ताल से दूर रखा गया है। दवाई की दुकानों को खुले रहने का निर्देश दिया गया है।
मजदूर संगठन, 11 ट्रेड यूनियन और सरकारी कर्मचारियों की ओर से बुलाई गई दो दिनों तक देशव्यापी हड़ताल ने केंद्र और राज्य में खलबली मचा दी है। भले ही केंद्र ने यूनियनों को मनाने की लाख कोशिशें की हो लेकिन यूनियन अपनी मांग पर अड़ी हैं। एक तरह से अगर देखा जाए तो यूनियनों की मांग जायज भी है। लेकिन हड़ताल किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।
हड़ताल कर्मियों की मांग
-महंगाई के लिए जिम्मेदार सरकार की नीतियां बदली जाएं।
– महंगाई को देखते हुए न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई जाए।
– सरकारी संगठनों में अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाए।
– आटसोर्सिंग की जगह स्थायी आधार पर कर्मचारियों की भर्ती हो।
– सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी निजी कंपनियों को न बेचा जाए।
– बैंकों के विलय की नीति न लागू की जाए।
– केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी हर 5 साल में वेतन में संशोधन हो।
– नई पेंशन स्कीम बंद करके पुरानी लागू की जाए।
– श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी बदलाव की कोशिश न की जाए।